संतोष यादव की रिपोर्ट :
सुल्तानपुर : अवैध निर्माण रोकने गये वन कर्मियों व पुलिस की पिटाई एवं फर्जीवाड़ा कर बैंक से ऋण लेने के मामले में आरोपियों की तरफ से संबंधित अदालतों में जमानत अर्जी प्रस्तुत की गयी। जिस पर सुनवाई के पश्चात अदालत ने हमले के आरोपी को राहत दी है। वहीं दूसरी अदालत ने फर्जीवाड़े के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
कोतवाली नगर क्षेत्र के रतनपुर-अकेलवा गांव से जुड़ा है, जहां पर बीते 17 अगस्त को वन विभाग की सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण की शिकायत पर वन विभाग के अधिकारी पुलिस बल के साथ निर्माण कार्य को रुकवाने के लिए गये। इस दौरान अवैध कब्जेदारों के आरोपियो ने संयुक्त टीम पर हमला बोल दिया आैर जमकर पिटाई की। कई सरकारी कर्मियों को चोटें भी आई, जिन्हें इलाज के लिए भर्ती भी होना पड़ा। मामले में वन रक्षक मो.आसिफ की तहरीर पर पिंटू निषाद व महेश उर्फ लकलक एवं 30-40 अज्ञात लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।
इसी मामले में आरोपी महेश उर्फ लकलक की तरफ से एफटीसी द्वितीय की अदालत में प्रस्तुत जमानत पर सुनवाई चली। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने अपराध को अत्यंत गंभीर बाते हुए जमानत पर विरोध जाहिर किया। वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता रणजीत सिंह-त्रिसुंडी ने आरोपों को निराधार बताते हुए जमानत स्वीकार करने की मांग की। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात प्रभारी एफटीसी जज द्वितीय अनिल कुमार यादव ने आरोपी की जमानत के लिए पर्याप्त आधार पाते हुए उसे राहत दी है।
दूसरा मामला बाजार शुकुल थाना क्षेत्र के पूरेतेजी मिश्र-नीमपुर गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले तेज बहादुर मिश्रा ने गांव के ही आरोपी राज बहादुर के खिलाफ अपनी खतौनी निकलवाकर बैंककर्मियों की मिलीभगत से उसके खाते की जमीन पर लाखों का ऋण फर्जीवाड़ा कर बैंक से पास कराने का आरोप लगाया। इस मामले में पुलिस के जरिए एफआईआर न दर्ज किये जाने पर तेज बहादुर ने कोर्ट की शरण ली थी,जिसके उपरांत मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी मामले में राज बहादुर की तरफ से एडीजे षष्ठम की अदालत में प्रस्तुत जमानत अर्जी पर सुनवाई चली। इस दौरान उभय पक्ष के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के पश्चात एडीजे षष्ठम जमाल मसूद अब्बासी ने आरोपी राज बहादुर की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।