बालमुकुन्द रायक्वार की रिपोर्ट
झाँसी : ‘सीएम साहब मदद करिये झांसी पुलिस फसा रही है झूठे मुकदमे में नाबालिग छात्रों पर भी लिखा जा रहा है। झूठे मुकदमें से बच्चों का भविष्य हो जायेगा बर्बाद।’ ऐसे ही दो वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में एक 55 वर्षीय महिला के साथ भद्दी भद्दी गालियाँ देकर उसके परिवार वालों को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी एक चौकी इंचार्ज द्वारा दी जा रही है और दूसरे वीडियो में महिला के परिवार बाले सरकार और उच्चाधिकारियों से मदद की बात कह रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जो वीडियो वायरल हो रहे हैं वो बुन्देलखण्ड के झांसी जनपद के सीपरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सूती मिल की है। जानकारी के बाद महिला के परिवार के एक सदस्य जिसका नाम महेश कश्यप है जो एक सामाजिक और राजनीतिक व्यक्ति हैं और रायक्वार समाज झांसी के जिलाध्यक्ष भी है, उन्होंने बताया कि मेरे घर पर मेरे परिवार की महिलाएं थी। तभी सीपरी थानान्तर्गत ग्वालियर रोड चौकी इंचार्ज प्रमोद तिवारी मेरे घर पर आये और मेरी 55 वर्षीय भावी जी के साथ गन्दी गन्दी गालियाँ दी और मेरे परिवार को किसी झूठे बड़े केस में फंसाने की धमकी देकर चले गए।
महेश कश्यप द्वारा बताया गया कि 19/09/18 को मेरे समाज के दो लोगों सुखलाल और जगदीश के बीच सम्पत्ति को लेकर विवाद हो गया था, जिसकी शिकायत प्रार्थी के द्वारा ट्विटर के माध्यम से की गई थी जिसकी रंजिश जगदीश व उसका परिवार मुझसे मानने लगे और 24 /9/18 को जगदीश व उसके परिवार का झगड़ा अन्य किसी लोगों से हो गया, जिसकी शिकायत जगदीश के पुत्र द्वारा सीपरी थाने में की गई जिसमें मुझे और मेरे परिवार के लोगों को फर्जी नामजद फंसाया गया।
जिसमें पुलिस द्वारा मेरे एवं मेरे परिवार के लोगों पर संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया जिसकी जांच की शिकायत मेरे द्वारा डी आई जी एवं एस एसपी झांसी से की गई और सही जांच करने की मांग की गई थी लेकिन चौकी इंचार्ज ने अपनी मनमानी कर जांच ना करके मेरे ऊपर एवं मेरे परिवार के नाबालिग बच्चों जो कक्षा 11 वी और 12 के छात्र हैं उन पर भी धारा 448, 452, 504,506, 307 में मुकदमा पंजीकृत कर दिया। महेश कश्यप ने कहा कि मेरे परिवार में भय व्याप्त है। सभी लोग डरे हुए हैं और मेरे परिवार में कोई घटना घटित होती है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार एवं पुलिस प्रशासन की होगी। उन्होंने उच्चाधिकारियों से जल्द ध्यान देने की प्रार्थना की है, जिससे मासूम छात्रों का भविष्य बर्बादी से बच सके।