जयंत जोशी की रिपोर्ट :
सहरसा : बिहार में महागठबंधन सरकार द्वारा सुशासन को लेकर किये जा रहे तमाम वादे धाराशायी होते नज़र आ रहे हैं, जो कहीं न कहीं सरकार के इरादों पर सवाल खड़े करती है। बात अगर बिहार के मिथिला परिक्षेत्र की करें तो यहां कानून व्यवस्था का हाल कुछ ज्यादा हीं खस्ताहाल है और ऐसा प्रतीत होता है कि बदमाशों के बुलंद हौसलों के आगे पुलिस प्रशासन ने घुटने टेक दिए हो। बदमाशों के हौसले किस कदर बुलंद हैं, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि बदमाशों ने एक बुजुर्ग को घर में घुसकर गोली मार दी। मामला बिहार के जनपद सहरसा का है।
बात दें कि मूलरूप से बेगूसराय बिहार के रहने वाले महेंद्र प्रताप सिंह 60 अपने परिवार के साथ सहरसा के न्यू कॉलोनी में रहा करते थे। बीते कुछ समय से उनका अपने पड़ोसियों से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। बताया जा रहा है कि इसी जमीनी विवाद को लेकर बदमाशों ने महेंद्र सिंह के घर पर धावा बोला और उनकी गोली मार कर हत्या कर दी। बताया ये भी गया है कि बदमाश महेंद्र के बेटे पंकज कुमार की हत्या करने की नियत से घर में दाखिल हुए थे लेकिन मौका ए वारदात पर महेंद्र सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी।
इस घटना के बाबत मृतक के परिवार वालों द्वारा पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया गया, लेकिन अपराधी अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं और पुलिस कार्यवाही के नाम पर महज़ खानापूर्ति कर रही है। पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने इस मामले को लेकर डीएम और एसपी तक से गुहार लगाई लेकिन बावजूद आश्वासन के अब तक कुछ नहीं मिला।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि वो कौन लोग हैं जो आपराधिक घटना को अनजाम देने के बाद भी महफूज़ हैं? वो कौन लोग हैं जिनके खिलाफ पुलिस प्रशासन से लेकर पूरा प्रशासनिक अमला कार्यवाही करने से कतरा रहा है ? क्या सहरसा पुलिस इतनी निष्क्रिय हो चुकी है कि बदमाशों के जेहन में अब उनका खौफ नहीं रहा ? और आखिर कब तक पुलिस विभाग की निष्क्रियता का खमियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ेगा ? बहरहाल के ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब मिलना अभी बांकी है।