अलवर : जिले में रसद विभाग का अनोखा खेल,अधिकारीयों और डीलरों की मिलीभगत से हो रही है कालाबाज़ारी

अजय सैनी की रिपोर्ट :

अलवर : जिले के उपभोक्ताओं को अपनी राशन सामग्री का हिस्सा, यानि कि हर माह मिलने वाला केरोसिन का तेल नहीं मिल रहा है। उपभोक्ताओं को गेहूं का वितरण डीलरों द्वारा किया जा रहा है लेकिन पोस मशीन से केरोसिन को साथ में निकाला जा रहा है। उपभोक्ताओं से कहा जा रहा है कि मिट्टी तेल नहीं आया है, यानी कि केरोसिन डीलरों द्वारा रसद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है। यदि सरकार द्वारा केरोसिन नहीं भेजा जा रहा है तो डीलरों को पोस मशीन के जरिए उपभोक्ताओं का केरोसिन उनके खाते से कैसे निकाला जा रहा है ?

रसद विभाग से जुड़े लोगों के मुंह से सुनने में आ रहा है कि रसद विभाग अलवर में लाखो लीटर मिट्टी का तेल यानी कि केरोसिन डीलरो के स्टॉक में बोल रहा है। जब स्टॉक में लाखो लीटर केरोसिन है तो डीलरों द्वारा उपभोक्ताओं को क्यों नहीं दिया जा रहा है ? रसद विभाग यह भी बताएं कि जब डीलरों के पास से लाखो लीटर केरोसीन का वितरण पहले नहीं हुआ और स्टाँक में था तो रसद विभाग द्वारा डीलरों को जून 2017 तक केरोसिन क्यों दिया गया ? इसके पीछे रसद विभाग का एक अनोखा खेल सामने आया है।

डीलरों से रसद विभाग के अधिकारी सुविधा शुल्क(रोस्टर) के रूप में एक राशि का भुगतान लेते हैं और डीलर इस राशि को चुकाने के बाद केरोसिन की कालाबाजारी कर लेता है। डीलर द्वारा रोस्टर का भुगतान नही देने की स्थिति में रसद विभाग उसका निलंबन कर देता है, यानी कि उसे सस्पेंड कर देता है इसलिए डीलर मजबूर होकर रसद विभाग के अधिकारियों को ठेकेदारों के माध्यम से भ्रष्टाचार की राशि का भुगतान करते हैं। अब रसद विभाग के अधिकारी सार्वजनिक रूप से यह बताएं कि कितना स्टॉक केरोसिन डीलरों के पास मौजूद था ? और डीलरों के पास स्टॉक नहीं मिलने पर सरकारी रेट से रिकवरी करें या डीलरों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराएं, जिससे केरोसिन की कालाबाजारी को रोका जा सके, साथ ही रसद विभाग के अधिकारी यह भी ना भूले कि जो पैसा डीलरों से रोस्टर के रूप में लिया गया है उसको भी वापस करने के लिए रसद विभाग केअधिकारी और कर्मचारी गण पर अवश्य बतायें कि डीलरों के पास माह जुलाई 2017 में आम उपभोक्ता को वितरण करने के लिए केरोसिन नहीं है तो रसद विभाग द्वारा भी क्यों नहीं मंगाया जा रहा है ?

यह बहुत बड़ा प्रश्न है। रसद विभाग साफ-साफ बताए कि अगर सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को केरोसिन देना बंद कर दिया है तो समाचार पत्रों के जरिए या अन्य माध्यम से स्पष्ट किया जाना चाहिए था कि केरोसिन का वितरण बंद कर दिया है और यदि वितरण नहीं किया है तो आम उपभोक्ता केरोसिन यानी की मिट्टी तेल लेने से क्यों वंचित रहे हैं ? उपभोक्ता को उसका हक मिलना चाहिए। यह समस्या पूरे अलवर जिले में है ना कि एक तहसील स्तर पर। अलवर जिले के डीलरों द्वारा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पखवाड़े खाद्य सामग्री वितरण के समय ही पोस मशीन द्वारा केरोसिन निकाला जा रहा है और उपभोक्ताओं को यह भी कहा जा रहा है कि केरोसिन यानी कि मिट्टी का तेल नहीं आ रहा है। इन सब बातों से साफ जाहिर होता है कि रसद विभाग के अधिकारी किस तरह केरोसिन को पोस मशीन द्वारा गायब करने के लिए डीलरों से आम उपभोक्ता का नुकसान करा रहे हैं।

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