ज़मीर अंसारी की रिपोर्ट :
सोनभद्र : हाईकोर्ट ने वनाधिकार कानून के तहत दाखिल दावों पर प्रक्रिया शुरू करने का आदेश आदिवासी वनवासी महासभा की जनहित याचिका पर दिया है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी. भोसले व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा द्वारा दिए आदेश में कहा गया है कि याचिकाकर्ता आदिवासी वनवासी महासभा के सदस्य वनाधिकार कानून की धारा 6 के तहत ग्रामसभा या सम्बंधित अधिकारी के यहां 6 हफ्ते के अदंर अपना प्रत्यावेदन देंगे और उसके बाद 12 हफ्ते के अंदर सम्बंधित ग्रामसभा व अधिकारी इसके सम्बंध में निर्णय लेगें।
इस 18 हफ्ते के दौरान वनाधिकार कानून के तहत दावा करने वाले किसी भी दावेदार के विरूद्ध कोई उत्पीड़न की कार्यवाही नहीं की जायेगी। याचिकाकर्ता की तरफ से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश अग्रवाल ने पैरवी की। यह जानकारी आज प्रेस को जारी अपनी विज्ञप्ति में स्वराज अभियान की राज्य समिति के सदस्य दिनकर कपूर ने दी।
उन्होंने बताया कि विगत वर्ष स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में आदिवासी वनवासी महासभा की टीम ने सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के नौगढ़ व चकिया तहसीलों का दौरा किया था। इस दौरे के दौरान टीम ने गांवस्तर पर जाकर वनाधिकार कानून के अनुपालन का हाल देखा था। इस दौरे में पाया था कि इन आदिवासी बहुल्य जनपदों में वनाधिकार कानून के तहत जमा नब्बें प्रतिशत दावें बिना सुनवाई के और सूचना दिए खारिज कर दिए। कई गांवों में तो लोगों के दावें तक स्वीकार नहीं किए गए थे।
वहीं गांव स्तर पर दावेदारों की वन विभाग द्वारा बेदखली की जा रही थी। इस दौरें के बाद आदिवासी वनवासी महासभा ने अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट बनायी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका 56003/2017 दायर की गयी थी। इस याचिका में पहली ही सुनवाई में हाईकोर्ट ने दावेदारों के उत्पीड़न पर रोक लगा दी थी। परसों हुई बहस में हाईकोर्ट ने याचीकर्ता के अधिवक्ता योगेश अग्रवाल के तर्को को स्वीकार कर वनाधिकार कानून की प्रक्रिया पुनः शुरू करने का आदेश दिया है। स्वराज अभियान के नेता ने इसे बड़ी जीत बताते हुए कहा कि इससे आदिवासियों व अन्य परंपरागत निवासियों को पुश्तैनी वनभूमि पर उनके अधिकार को हासिल होने का रास्ता खुला है।