हरौनी में शराबियों के जमावड़े से राहगीर होते परेशान, प्रशासन मौन

श्रीनिवास सिंह मोनू की रिपोर्ट :

लखनऊ : सरकार ने यूं तो प्रदेश में आबकारी नीतियों में जनता को ध्यान में रखते हुए कई बदलाव किए हैं जिसमें शराब बिक्री से लेकर शराब ठेकों के खुलने एवं बंद होने का समय भी निश्चित किया गया है एवं शराब ठेकों के पास शराबियों व अराजक तत्वों की अनावश्यक भीड़ ना इकट्ठी हो जिससे की आम जनमानस को कोई दिक्कत पैदा हो इसके लिए आबकारी विभाग व स्थानीय पुलिस को कड़े दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।

शराब ठेकों के खुलने एवं बंद होने का समय सुबह 10:00 से रात्रि 10:00 बजे तक निश्चित किया गया है परंतु सरकार के बनाए इन आबकारी नियमों को आबकारी विभाग के साथ साथ स्थानीय पुलिस अपने अपने हिसाब से पालन कराती है।

आज हम बात कर रहे हैं बंथरा थाना क्षेत्र में पड़ने वाले कुछ शराब ठेकों की जिनमें हरौनी पुलिस चौकी के नजदीक ही लतीफ नगर व चौकी से चंद कदम की दूरी पर ही स्थित हरौनी कस्बे में अंग्रेजी एवं देसी शराब के ठेके मौजूद हैं। यहां पर शराब ठेकों का आलम यह है कि उनमें शराब की बिक्री सुबह से ही चालू हो जाती है वहीं देर रात तक बिक्री हुआ करती है। ठेकों के आसपास शराबियों व अराजक तत्वों का जमावड़ा शाम होते ही लग जाता है। आलम यह है कि शराब ठेके मुख्य मार्ग व रेलवे स्टेशन के समीप ही हैं जिन पर शराबियों व अराजक तत्वों का जमावड़ा लगने के बाद रेल यात्रियों एवं दैनिक राहगीरों व महिलाओं का निकलना दुश्वार रहता है। इसके बावजूद भी स्थानीय पुलिस शराबियों पर कोई भी कार्यवाही नहीं करती है।

क्षेत्रवासियों के अनुसार हरौनी कस्बे में तो शराब ठेकों से लेकर अन्य कई स्थानों पर भी बिका करती है जिस पर भी पुलिस कोई अंकुश लगाने में अभी तक नाकामयाब ही रही है। पिछले दिनों कस्बे में कई चोरियों की घटनाएं हुई जिनमें भी इन्हीं अराजक तत्वों के ऊपर स्थानीय लोगों का शक हुआ फिर भी पुलिस प्रशासन इस तरह के शराबियों, जुआरियों एवं अराजक तत्वों पर नकेल कसने में फेल है। जिससे यह प्रतीत होता है कि इन सब में आबकारी विभाग के साथ साथ पुलिस का भी मौन संरक्षण प्राप्त है।

About Kanhaiya Krishna

Check Also

पाकिस्तानी आतंकी बाबर भाई मुठभेड़ में ढेर, 4 साल से था घाटी में एक्टिव

पाकिस्तानी आतंकी बाबर भाई मुठभेड़ में ढेर, 4 साल से था घाटी में एक्टिव

पाकिस्तानी आतंकी बाबर भाई मुठभेड़ में ढेर, 4 साल से था घाटी में एक्टिव जम्मू-कश्मीर …

करतारपुर कॉरिडोर

74 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर के जरिए मिले दो भाई, बंटवारे ने किया था अलग

1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो मोहम्मद सिद्दीक नवजात थे। उनका …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *