राम धीरज यादव की रिपोर्ट :
बाराबंकी : जनपद के देंवा मार्ग पर स्थित भारतीय खाद्य निगम के डिपो में श्रमिकों का उत्पीड़न करते हुए सुबह साढ़े नौ बजे से लेकर रात नौ बजे तक पी0डी0एस0लोडिंग, लेवी अनलोडिंग व स्टैटिंग व्डैै स्कीम के अन्तर्गत खाद्यान्न लोडिंग का कार्य कराया जाता है। जबकि मजदूरों की कार्य अवधि सुबह साढ़े नौ बजे से लेकर साढ़े पांच बजे सांय तक निर्धारित है।
यह जानकारी देते हुए शिवसेना जिला प्रमुख मनोज विद्रोही ने बताया कि डिपों पर सहायक प्रबन्धक द्वारा मजदूरों का उत्पीड़न करते हुए सांय पांच बजे के बाद ट्रकों को लोडिंग व अनलोडिंग हेतु डिपों में प्रवेश कराया जाता है। इस प्रकार वर्क व समय से अधिक कार्य लिया जा रहा है। डिपों के अन्तर्गत श्रमिकों के लिए व्यवस्थायें शून्य है। विद्युत पेयजल व चिकित्सा की समुचित व्यवस्था नहीं है। श्रमिकों को जहरीले कीड़े के दशं से बचाव के कोई साधन व औषधि नहीं है। एक श्रमिक को विषैले सर्प ने काट लिया था जिसकी श्रमिकों ने चंदा लगाकर जान बचाई।
ट्रको कों एक बार खाली होेने के बाद उन्हीं ट्रकों को सांय 6 बजे डिपो के धर्मकांटे से पुनः लोडिंग के लिए गोदामों पर भेज दिया जाता है। श्रमिकों को फेज-1 व फेज-2 दोनों जगहों पर कार्य के लिए जाना पड़ता है। जो काफी दूरी पर स्थित है। सभी श्रमिक कार्य करने के लिए अधिक से अधिक से अधिक रात नौ बजे तक रूक जाते है। फिर भी डिपो प्रबन्धक तानाशाही करते हुए देर रात तक काम करने के लिए दबाव बनाते है। यदि कोई विरोध करता है या रात में कार्य करने से इन्कार करता है तो श्रमिकों पर हाल्टिंग (ट्रकों का किराया) काटने की नोटिस जारी की जाती है।
श्रमिकों पर तरह-तरह के दबाव बनाकर उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है। कई दशक बीत गये है श्रमिक डी0पी0एस0 व्यवस्था के अन्तर्गत कैजुअल श्रमिक के रूप में कार्य कर है जबकि नियमानुसार इन श्रमिकों को एक वर्ष के अन्दर विभागीय हो जाना चाहिए और सरकारी सुविधायें मिलनी चाहिए। इस उत्पीड़िन से श्रमिकों में निरन्तर आक्रोश पनप रहा है। इसके विरोध में 31 जनवरी को काम बन्द कर हड़ताल कर दिया था तथा 01 फरवरी को श्रमिकों के आक्रोश के चलते दोपहर 12 बजे के बाद श्रमिकों ने लोडिंग अनलोडिंग का कार्य प्रारम्भ किया। विद्रोही ने डिपों में व्याप्त भ्रष्टाचार व श्रमिक उत्पीड़न के विरोध में निगम के उच्च अधिकारियों से मिल कर जाँच व कार्यवाही कराने की चेतावनी दी है।