रिपोर्ट-संतोष यादव
सुल्तानपुर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशिएशन के राष्ट्रीय संयोजक कुलदीप यादव ने कहा 1आकि किस तरह से संविधान का मखौल उड़ाते हुए सरकार ने वर्गीय आधार जिसको आर्थिक आधार बताकर 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किसी कमीशन बिना अथवा सर्वे के आधार पर संसद के शीतकालीन सत्र में अंतिम दिनों में प्रस्ताव लाकर लागू कर दिया और संविधान की धारा 15,16 को अपरिहार्य रूप से लागू कर दिया गया। उम्मीद और अपने वर्गीय हितों को ताक पर रखकर इस जनेऊधारी बिल के समर्थन में कांग्रेस सहित सपा, बसपा,रालोद,जदयू,बीजद,झामुमो,अपना दल आदि दलों ने मेज थपथपाकर समर्थन किया जो कि इनके पिछड़े शोषित और वंचित तबके के प्रति असंवेदनशील तथा धोखेबाजी का प्रमाण प्रस्तुत करता है ये सिर्फ और सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए दलित पिछड़ा और अल्पसंख्यक हितैषी होने का दम्भ भरते हैं। क्षेत्रीय दलों में राजद और ए आईं एम आई एम ने इस बिल के विरोध में मुखर होकर मतदान किया। अभी तक आरक्षण में प्रावधान के तहत अनुसूचित जाति को 15 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत तथा आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछडों को 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था जिसे कोटा के भीतर कोटा तथा 49.5 के कोटे के भीतर ही सीमित करना तथा क्रीमीलेयर आदि बाधाएं उत्पन्न करके प्रतिनिधित्व को न प्रदान करने का षड्यंत्र करते आ रहे हैं अभी 2018 के भीतर विश्व विद्यालयों के भीतर 200 पवाइंट के रोस्टर को 13 पवाइंट का रोस्टर लागू कर देने से शोषित और वंचित समाज की भागीदारी को उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रतिनिधित्व रोकने का हथकण्डा अपना कर आरक्षण पर कुठाराघात करने का काम किया है। अभी दिसम्बर 2018 में पिछड़े तबके के 27 फीसदी आरक्षण को वर्गीकृत करके इन्हें आपस में लड़ाकर आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व न प्रदान करने का कुचक्र रचा है जिससे अभी भी आरक्षण की अवधारणा वास्तविक रूप में साकार नहीं हो सकी है।
केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति एवं प्रोन्नति बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार अभी भी प्रथम श्रेणी की नौकरियों में पिछड़े वर्ग की भागीदारी 3 प्रतिशत तथा दलितों का लगभग 1 प्रतिशत है जबकि इनकी आबादी 85 फीसदी से अधिक है इसी प्रकार द्वितीय श्रेणी में दलितों की 3 प्रतिशत तथा पिछड़ों की लगभग 7 फीसदी है तथा तृतीय श्रेणी की नौकरियों में दलितों की लगभग 9 फीसदी तथा पिछड़ों की लगभग 12 फीसदी भागीदारी प्राप्त हो चुकी है शेष इन्ही तथाकथित आर्थिक रूप से गरीब आभिजात्य वर्ग का 80 से 90 फीसदी सरकारी नौकरियों पर कब्ज़ा है तथा निजी क्षेत्र में लगभग 97 फीसदी आधिपत्य है|
ऐसे में हम सभी पिछड़े,दलितों तथा अल्पसंख्यक तबके का यह आवश्यक कर्तब्य बन जाता है ऐसे संसोधन के खिलाफ आवाज बुलंद करके जातिगत आधारित जनगणना को सार्वजनिक करके आबादी के हिसाब से सार्वभौमिक आरक्षण लागू कराने के लिए एक राष्ट्रब्यापी आंदोलन छेड़े जिससे की हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके।
कुलदीप यादव ने कहा कि सभी जनपदों में सड़क पर उतर कर इस जाति आधारित 10 प्रतिशत आरक्षण तथा धारा 15(1) के विरोध में उतर कर सामाजिक न्याय की लड़ाई को सम्बल प्रदान करें एवं जाति आधारित जनगणना को सार्वजनिक करके आबादी के आधार पर न्यायपालिका सहित उच्च शिक्षा,निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में आरक्षण के लिए आंदोलन व प्रदर्शन करें।