राजेश पाल की रिपोर्ट :
अमेठी: ना खाद ना पानी कैसे होगी किसानी ? जहां सरकार का लक्ष्य किसानों की आमदनी दोगुनी करने की है। वहीं किसानों की लगातार परेशानी बढ़ रही है इस समय यूरिया खाद की किसानों को अत्यंत आवश्यकता है जबकि क्षेत्र में सहकारी समिति सहित कृषि वानिकी समिति हरखू मऊ में भी यूरिया खाद नहीं है। जबकि इस समय किसानों को यूरिया खाद की अत्यंत आवश्यकता है गेहूं में खाद डालने के लिए किसान परेशान हैं।
वहीं किसानों का कहना है शुकुल बाजार कस्बे और आस पास लगभग दर्जनों खाद की प्राइवेट दुकानें भी हैं, जो मन माने रेट पर किसानों को खाद बेच रहे हैं। या यूं कहें किसानों को ठग रहे हैं तो गलत नहीं होगा। प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते प्राइवेट दुकानदार मनमानी ढंग से खाद की बिक्री कर रहे हैं। 45 किलो की यूरिया की बोरी जो की 299 रुपये की है वहीं प्राइवेट दुकानदार किसानों से 330 और 340 कुछ दुकानदार 350 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से वसूल रहे हैं। किसान मजबूर है, क्योंकि क्षेत्र के कई साधन सहकारी समितियों पर यूरिया खाद नहीं है जबकि इन दिनों किसानों को यूरिया खाद की अत्यंत आवश्यकता है।
गेहूं की सिंचाई हो रही है, पूछ किसान गेहूं की सिंचाई कर चुके हैं और ऐसे में यूरिया खाद अत्यंत आवश्यक है। वहीं दूसरी तरफ गेंरावा रजबहा नहर की खुदाई तो हो गई है, लेकिन उसमें पानी अभी तक नहीं आया है, जबकि इस समय किसानों को पानी की भी बड़ी आवश्यकता है गेहूं की सिंचाई चल रही है। ऐसे में कुछ किसान ऐसे हैं जो सिर्फ नहर पर ही डिपेंड हैं।
नजर ना आने से लोगों की गेहूं की फसल सूख रही है वही जो किसान किसी प्राइवेट बोरिंग से पानी ले रहे हैं उन्हें 150 रुपये घंटे इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। इससे खेती की लागत में वृद्धि आती है और किसानों को मुनाफा नहीं मिलता। ऐसे में किसान कैसे समृद्ध होंगे कल से किसानों की आमदनी दोगुनी कैसे होगी ?