नई दिल्ली : पूर्व गवर्नर रघुराम राजन एक बार फिर मनमोहन सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। इससे पहले रघुराम राजन ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि बैंकों का एनपीए बढ़ने की जिम्मेदार मनमोहन सरकार है। वहीँ अब रघुराम राजन ने कहा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ही प्रधानमंत्री कार्यालय को बैंकिंग धोखाधड़ी से जुड़े बहुचर्चित मामलों की एक सूची समन्वित कार्रवाई के लिए सौंपी थी, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई /
आंकलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को भेजे पत्र में राजन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ियों का आकार बढ़ रहा है, हालांकि, यह कुल गैर निष्पादित आस्तयों (एनपीए) की तुलना में अभी काफी छोटा है।
रघुराम राजन ने यह भी बताया है, ‘जब मैं गवर्नर था तो रिजर्व बैंक ने धोखाधड़ी निगरानी प्रकोष्ठ बनाया था, जिससे धोखाधड़ी के मामलों की जांच एजेंसियों को रिपोर्ट करने के कार्य में समन्वय किया जा सके, मैंने पीएमओ को बहुचर्चित मामलों की सूची भी सौंपी थी। मैंने कहा था कि समन्वित कार्रवाई से हम कम से कम एक या दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं मुझे नहीं पता कि इस मामले में क्या प्रगति हुई, इस मामले को हमें तत्परता के साथ सुलझाना चाहिए। राजन सितंबर, 2016 तक तीन साल के लिए केंद्रीय बैंक के गवर्नर रहे थे और फिलहाल अभी वह शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में पढ़ा रहे हैं।
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