चकिया चन्दौली विगत महिनों पहले सरकार के उस आदेश की यहां खुले आम धज्जियां उड़ती दिख रही है जिसमें कहा गया था कि छुट्टे जानवरों को पकड़ कर गोशालाओं में रखा जाये जिससे किसानों की फसलों व मार्ग पर इनकी वजह से हो रही दुर्घटनाओं को कुछ हद तक रोका जा सके।ठीक इसके विपरीत यहां प्रत्येक गांवों के सिवानों में दर्जनों छुट्टा जानवरों को किसानों की फसलों को आराम से रौंदते हुए देखा जा सकता है।किसान इस समस्या को अब किससे कहे शिवाय स्वत:निगरानी के आलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नही है।जंगलो के किनारे बसे गांवों के किसानों की स्थिती और भी खराब है उन्हें छुट्टा पशुओं और जंगली जानवरों दोनो से अपनी फसलों की निगरानी करनी पड़ती है।इस परिस्थिति में कुछ किसानों को तो इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है कि उनके उनकी फसल का लागत मुल्य भी नही निकल पाता।चकिया नगर के इर्द-गिर्द गांवों के किसान ऐसे छुट्टा जानवरों से बेहद परेसान है पर सुनता कौन है।
