लखनऊ : लखनऊ में एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की पुलिसकर्मी द्वारा गोली मारकर हत्या किये जाने को लेकर यूपी पुलिस और योगी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। वहीँ इस मामले में एक ऐसा खुलासा हुआ है, जिससे इस पुरे मामले के साजिश होने के आसार नज़र आते हैं। हैरानी की बात ये है कि अब तक आखिर पुलिस और जांच टीम की नज़र इस बात पर क्यों नहीं पड़ी।
दरअसल जिस सिपाही प्रशांत चौधरी ने विवेक को गोली मारी उसके हाथ में 9 MM की पिस्तौल आई कहां से ? यह सवाल और भी अहम हो जाता है। हत्याकांड से जुड़े इस पहलू की भी गहनता से जांच होनी चाहिये। आपको बता दें कि सिपाही प्रशांत चौधरी साल 2016 में यूपी पुलिस में भर्ती हुआ। इस हिसाब से तो उसे पिस्तौल आवंटित नहीं की जा सकती, क्योंकि किसी भी सिपाही को पिस्तौल तभी दी जा सकती है जब वह शैडो की ट्रेनिंग पूरी कर ले। शैडो की ट्रेनिंग के बाद ही कोई कॉन्स्टेबल अपने पास पिस्तौल लगाकर चल सकता है।
इसलिए सबसे पहले इसकी जांच होनी चाहिये कि सिपाही प्रशांत चौधरी को पिस्तौल यूपी पुलिस के किस अधिकारी के निर्देश पर दी गई, या कहीं ऐसा तो नही कि वह विभाग के किसी दूसरे अधिकारी की पिस्तौल अपने पास लगाकर घूम रहा था और साजिशन इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया।
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