राकेश द्विवेदी की रिपोर्ट
संतकबीरनगर। अन्र्तराष्ट्रीय बाल श्रम विरोध दिवस जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव/न्यायिक अधिकारी शैलेन्द्र यादव की अध्यक्षता में सरैया बाईपास स्थित एनएच 28 नये भवन में स्थापित श्रम कार्यालय परिसर में मनाया गया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शैलेन्द्र यादव ने कहा कि सभी प्रतिष्ठानो में बाल श्रमिको का नियोजन न करे, यदि कोई भी स्वामी बाल श्रमिको का नियोजन करता है, तो 50 हजार रूपये अर्थदण्ड या 2 वर्ष का कारावास दण्ड स्वरूप दिया जा सकता है। उन्होने कहा कि बाल श्रम कराना बुरे काम के बराबर और इसका परिणाम भी बुरा होगा ऐसी परिस्थितियो में समाज में मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा के साथ जीवन यापन हो सके। इसके लिए बाल श्रम कराने से दूर रहे और नियमानुसार प्रतिष्ठानो पर सहयोग के लिए कर्मियो की सेवा ले। इस अवसर पर श्रम प्रवर्तन अधिकारी चन्द्रप्रकाश पाण्डेय द्वारा बाल श्रम (किशोर/विनियमन) अधिनियम 1986 तथा संसोधन अधिनियम 2016 के अपेक्षानुसार आये हुए व्यापारिक संगठनो के प्रतिनिधियों को विस्तृत रूपा से जानकारी दी। उन्होने अवगत कराते हुए कहा कि संशोधित अधिनियम 2016 में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चो से किसी भी प्रतिष्ठान/अधिष्ठान में बालश्रम का नियोजन निषेध है। श्री पाण्डेय ने कहा कि श्रम विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागो के अधिकारी यथा परगना मजिस्ट्रेट तहसीलदार, नायब तहसीलदार खण्ड विकास अधिकारी, सहायक खण्ड विकास अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी अधिसूचना संख्या 3401/36-3-98-16(सा0)-97 दिनांक 28, दिसम्बर, 1998 द्वारा अधिनियम के अन्र्तगत निरीक्षक घोषित किया गया। श्रम विभाग द्वारा समय-समय पर बाल श्रमिको के सर्वेक्षण हेतु अभियान चलाता है तथा आपरेशन मुस्कान के माध्यम से सुनियोजित रूप से निरीक्षण/छापे की कार्यवाही की जाती है।