शहाबुद्दीन अहमद की रिपोर्ट :
बेतिया : उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में 34540 शिक्षकों को पेंशन योजना के लाभ से वंचित कर दिया है। इन शिक्षकों ने 2010 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी कि अन्य सरकारी शिक्षकों की तरह हम लोगों को भी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। मगर उच्च न्यायालय ने दोनों पक्ष की बात सुनते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसमें इन शिक्षकों को 1950 की पेंशन योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है। वर्तमान मे इन शिक्षकों को केवल कंट्रीब्यूटरी पेंशन का लाभ ही दिया जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय की 2 सदस्य खंडपीठ ने नंदकिशोर ओझा एवं अन्य शिक्षकों द्वारा दायर याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। इन शिक्षकों की नियुक्ति को विज्ञापन के आधार पर 2010 में प्रकाशित किया गया था। विज्ञापन के अंदर यह बात लिखी हुई थी योजना से लाभान्वित होंगे। इनकी नियुक्ति प्रक्रिया 2003 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था।
दूसरी ओर सरकार ने जिला परिषद कर्मियों को सरकारी कर्मचारी की तरह लाभ देने का फैसला लिया है। जिला परिषद में कार्यरत कर्मचारियों को अब राज्य सरकार के कर्मचारियों जैसे ही सुविधा मिलेगी। इस संबंध में हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में जिला परिषद नगर निकाय कर्मचारियों को भी पंचम एवं छठे पुनरीक्षित वेतनमान देने का आदेश दिया है। न्यायधीश ज्योतिष की पीठ ने गुरुवार को बिहार राज्य जिला परिषद कर्मचारी महासंघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने के बाद यह फैसला दिया है।
अदालत ने राज्य सरकार सचिव पंचायती राज बिहार जो उस आदेश को भी निरस्त कर दिया, जिसमें पंचायती राज सचिव ने पिछले साल 3 मई को जिला परिषद के कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार की सहमति के बिना ही जिला परिषद के कर्मचारियों द्वारा पंचम में छठे वेतन का लाभ ले लिया गया। जिला विकास आयुक्त मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को अत्याधिक वेतन निकासी को समायोजित करने का भार सौंपा था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही एवं प्रभात कुमार सिंह ने अदालत को जानकारी दी कि तृतीय, चतुर्थ, पंचम वेतनमान कर्मचारियों को दिया जाना था। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि जिला परिषद कर्मियों को सरकारी कर्मियों की जैसे सुविधा मिलेगी।