ज़मीर अंसारी की रिपोर्ट :
सोनभद्र : दुद्धी नगर पंचायत में शहरी आवास निर्माण के नाम पर जबरजस्त घोटाला किया जा रहा है।नगर पंचायत में आवास के पात्र अपात्र छांटने के दलाल सक्रिय है जो सुविधा शुल्क लेकर पात्र को अपात्र ,अपात्र को पात्र बना दे रहे।नगर पंचायत में पहले तो सैकड़ो अपात्रों को आवास दे दी गयी है।जिनके पक्के के मकान है या जिनके नाम भूमि नही है उन्होंने भी आवास ले रखा है।
नाम न छापने पर पेशे से बाल काटने वाले युवक ने बताया कि जांच में आने वाले अफसर कह रहे थे कि तुम अपात्र हो तुम्हारा आवास वापस जाएगा , नही तो 5 हजार लगेगा।इस प्रकार से प्रधानमंत्री के शहरी पात्र लोगों को आवास देने का सपने में घुन लग चुका है।कइयों अपात्रों को आवास दे दी गयी है तो कइयों को आवास देने में दलाल धन की उगाही कर रहा है। लाभार्थी खुलकर इसलिए सामने नही आ रहे कि 5 – 10 हजार के चक्कर में उनका कही आवास वापस न चला जाये ,इसी का फायदा उठाकर जिम्मेदार मलाई काट रहे है। सामाजिक कार्यकर्ता राफ़े , वीरेंद्र कुमार ,बबलू ने संयुक्त रूप से कहा कि विभाग अगर अपात्रों से आवास की रिकवरी नही करता तो मजबूरन विभाग के खिलाफ कोर्ट में पीआईएल दाखिल करना पड़ेगा और विभाग की कारगुजारियों की उच्चस्तरीय जान ही सेट अप करानी होगी।
इस संदर्भ में डूडा के जिला क्वारडीनेटर विकास दुबे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे नीचे 10 लड़के नगरपंचायत में वार्ड वाइज जिओ टैगिंग व कागजी कार्यवाही को पूरा करने का काम कर रहे है अगर कोई भी आवास लाभार्थियों से अवैध धन की उगाही करे तो वो तत्काल इसकी सूचना उनके फ़ोन न 8874900006 पर दे कार्यवाही होगी।कहा कि पात्र अपात्र छाटने का काम नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी का है।हमारा काम सिर्फ मैपिंग कर शपथ पत्र लेकर धन भेजना है ।उन्होंने वार्ता में स्वीकारी की दुद्धी कइयों को आवास ऐसे लोगो को दे दिए गए है जो वास्तव में अपात्र है।उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे बनाने के मॉडल नियत किये है लेकिन यहां बेतरतीब आवास बन रहा है।जिसे जिलाधिकारी से बैठक में मुद्दा उठाया गया था तो उन्होंने कहा था कि जिनकी आवास अगल पहले बन चूंकि उनकी वैसी ही फ़ोटो फाइल में लगाई जाए।
जिओ टैगिंग के नाम पर हो रही वसूली ,सामने आने से कतरा रहे लाभार्थी
दुद्धी क़स्बे के रामनगर निवासी एक युवक ने बताया कि आवास की मैपिंग में भी अधिकरियों द्वारा 5 सौ से 15 सौ की वसूली की जा रही है।जो पैसे दे रहे है उनकी मैपिंग कर दी जा रही है।बता दे आरोप तो तमाम लग रहे है लेकिन पीड़ित पात्र लाभार्थी सामने आने से कतरा रहे है।