नई दिल्ली : संरक्षणवाद के मद्देनज़र विद्यार्थी विनिमय प्रोग्राम अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं और आने वाले वाले कल के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आए हैं। तकरीबन 5 मिलियन छात्र शिक्षा पाने के लिए दुनिया के विभिन्न स्थानों पर जाते हैं। भारत दुनिया के उन देशों में से एक हैं जहां पढ़ने के लिए सबसे ज़्यादा छात्र आते हैं। भारत विदेश में पढ़ने वाले छात्रों पर 20 मिलियन अमेरिकी डाॅलर का खर्च करता है। ऐसे में भारत को शिक्षा केन्द्र के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है।
फिक्की द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से शिक्षा पर आयोजित विश्वस्तरीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी 13वें फिक्की हायर एजुकेशन समिट 2017 के दौरान सुधांशु पाण्डे, संयुक्त सचिव,एमओसीआई भारत सरकार ने कहा। सम्मेलन की थीम है ‘लीपफ्राॅगिंग टू एजुकेशन 4.0ः स्टूडेन्ट एट द कोर’।
इस साल 67 देशों से 1000 प्रतिनिधि सम्मेलन में हिस्सा ले रहें हैं। इनमें से 247 से अधिक प्रतिनिधि अफ्रीका, सार्क, मध्यपूर्व, सीआईएस, फिनलैण्ड, न्यूज़ीलैण्ड, मलेशिया, आॅस्ट्रेलिया, यूएसए से हैं। पाण्डे ने कहा कि शिक्षा की बात करें तो विद्यार्थी इसमें सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं, ये हमारे भविष्य का केन्द्र हैं। हमें एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना होगा जहां छात्रों को उत्कृष्ट सेवाएं मिलें। उन्हें उद्योग एवं अकादमिक जगत के बीच के अंतराल को दूर करने की बात कही ताकि दोनों एक साथ मिलकर आगे बढ़ सकें।
मानव संसाधन विकास विभाग, भारत सरकार के संयुक्त सचिव डाॅ एन सरवन कुमार ने कहा, ‘सरकार नई शिक्षा नीति पर काम कर रही है जो भारत की शिक्षा प्रणाली को अध्यापक उन्मुख के बजाए विद्यार्थी उन्मुख बनाएगी। साथ ही उच्च विनियमित शिक्षा क्षेत्र का उदारीकरण किया जा रहा है, इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाया जा रहा है।’’
अपने वीडियो संदेश में भारत सरकार में मानव संसाधन विकास के केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘‘सरकार संस्थानों को अनुसंधान एवं विकास तथा इनोवेशन के लिए अधिक स्वायत्ता प्रदान कर रही है। सरकार ने आॅनलाईन लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए ‘स्वयम्’ जैसे प्रोग्राम शुरू किए हैं तथा संस्थानों को विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने हेतू प्रयासरत है।’’
भारत सरकार में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने संदेश में हितधारकों से आग्रह किया कि शिक्षा कारोबार को विश्वस्तर पर विस्तारित करने के लिए विचार प्रस्तुत करें। इंटरनेट के साथ कारोबार के नए अवसर उभरे हैं और भारत को इनका लाभ उठाना चाहिए। फिनलैण्ड ने 15 सदस्य प्रतिनिधियों के साथ सम्मेलन में हिस्सा लिया।
भारत के लिए फिनलैण्ड की राजदूत मिस नीना वसकुंलाहटी ने कहा, ‘‘फिनलैण्ड की शिक्षा प्रणाली गुणवत्ता, दक्षता, समानता और अन्तरराष्ट्रीयता के चार स्तम्भों पर टिकी है। फिनलैण्ड की शिक्षा प्रणाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से एक है और देश भारत के शिक्षा क्षेत्र के साथ अपना ज्ञान, तकनीक एवं सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को सुरक्षित करने के लिए तैयार है।’’
अपने सम्बोधन में प्रोफेसर (डाॅ) राजन सक्सेना ने कहा, ‘‘छात्र एजुकेशन 4.0 का केन्द्र है जो सहयोगात्मक तकनीक के माध्यम से व्यक्तिगत लर्निंग का अनुभव प्रदान करता है। शिक्षा संस्थानों को 4.0 तकनीकों एवं प्रक्रियाओं को अपनाना होगा। इसके अलावा उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यास्थ विनियामक अकादमिक, वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वायत्ता भी ज़रूरी है।’’
फिक्की हायर एजुकेशेन समिट के सह-अध्यक्ष प्रोफेसर विनोद भट्ट ने कहा, ‘‘भारत में हम पढ़ाने पर ध्यान देते हैं ना कि सीखने पर। हमें इस परिवेश में बदलाव लाना होगा। नई शैक्षणिक विधियों और मूल्यांकन प्रणालियों के साथ शिक्षा क्षेत्र जबरदस्त बदलाव के दौर से गुज़र रहा है। ऐसे में हमें परिणाम उन्मुख लर्निंग पर ध्यान देना होगा।’’
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ज़ोर देते हुए फिक्की के महासचिव डाॅ संजय बारू ने कहा, ‘‘बेहतर शिक्षा उद्योग जगत को बेहतर प्रतिभा दे सकती है। हमें एक ऐसे सक्षम वातावरण का निर्माण करना होगा जहां सरकार, अकादमिक जगत और उद्योग आपसी तालमेल में काम करें और एजुकेशन 4.0 को अपनाएं।’’
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