नई दिल्ली : 70 एमएम के रुपहले पर्दे पर आपकी निगाहें जमी हुई है, हीरो एक के बाद एक गुंडों की बैंड बजाने में जुटा है, मतलब सबकुछ बिंदास है, लेकिन तभी आपको उस हीरो का असली नाम पर्दे पर दिखे और वो हरिओम भाटिया लिखा हुआ आता हो, तो आपको लगेगा ये एक्शन और स्टंट बंदे पर शूट नही करता।
चलिए एक और उदाहरण लेते हैं। सामने रुपहले पर्दे पर एक हीरो, हीरोइन के साथ लाजवाब डांस कर रहा है ,दर्शक उनके 1-1 डांस स्टेप पर जमकर सीटियां बजा रहे हैं, लेकिन तभी परदे पर हीरो का नाम गोविंद अरुण आहूजा लिखा आता है है तो शायद लगेगा कि यह डांस स्टेप इसके नाम के साथ मैच नहीं कर रहा।
अब दुसरे पहलु पर बात करते हैं। लाजवाब एक्शन-स्टंट कर रहा हीरो जब विलन की बैंड बजाता है और पर्दे पर उनका नाम लिखा आता है ‘अक्षय कुमार’ तो सीटियों की गूंज कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। वैसे ही डांस स्टेप के साथ जैसे ही पर्दे पर नाम लिखा हुआ आता है ‘गोविंदा’ तो दर्शक नाम के साथ उनके स्टेप को जोड़कर देखने लगते हैं जो बिल्कुल फिट बैठता है।
कहने का मतलब यह है कि सामान्य जीवन में नाम भले ही कोई खास मायने नहीं रखता हो, लेकिन माया नगरी में नाम बहुत ही ज्यादा मायने रखता है। मायानगरी का एक सिंपल सा फंडा है कि यहां जो दिखता है वह बिकता है और नाम के मायने में यह कहा जा सकता है कि फर्स्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन। अच्छी कलाकारी के साथ अच्छा नाम, मतलब सोने पर सुहागा हो जाता है।
कई सारे ऐसे बॉलीवुड कलाकार हैं जिन्होंने फिल्मी दुनिया में आने के बाद अपना असली नाम पीछे छोड़ दिया और मायानगरी ने उन्हें वो नाम दिया जिस नाम से वह दुनिया भर में विख्यात हो गए। जी हां, दिलीप कुमार से लेकर अक्षय कुमार और राजकुमार से लेकर गोविंदा तक कई ऐसे नाम है, जिन्होंने फिल्मी दुनिया में आने के बाद अपने नाम बदल लिए और नाम बदलने के बाद उन्हें जो शोहरत हासिल हुई वो किसी से छिपी नहीं है।
बॉलीवुड कलाकारों के नाम बदलने की फेहरिस्त में एक और नाम शामिल हो गया है और वह नाम है कुमार आर्यन। बिहार के एक छोटे से गांव गोविंदपुर से चलकर बॉलीवुड तक का सफर अपने दम पर तय करने वाले कुमार आर्यन का असली नाम दीपक कुमार मिश्रा है। अब जबकि उन्होंने अपने संघर्ष के बलबूते बॉलीवुड तक का सफर तय कर लिया है तो ऐसे में उन्होंने अपने असली नाम को पीछे छोड़ते हुए नया नाम ग्रहण कर लिया है। जी हाँ, दीपक मिश्रा अब कुमार आर्यन के नाम से जाने जाएंगे। बता दें कि फ़िल्मी पारी शुरू करने के साथ हीं उन्होंने ये नाम अपना लिया था, लेकिन अब क़ानूनी तौर पर उन्होंने इस नए नाम को आत्मसात कर लिया है।
कुमार आर्यन का बॉलीवुड सफर भी कई संघर्षों से भरा पड़ा है। एक छोटे से गांव से निकल कर मायानगरी में खुद को स्थपित कर पाना इतना भी आसान नहीं होता, लेकिन कुमार आर्यन ने अपने कड़े संघर्षों के बलबूते आज उस मुकाम को पाया, जिसे पाने के लिए कई लोग तरसते हैं। लेकिन खास कि इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी कुमार बिलकुल सिंपल दिखते हैं और सिर्फ दिखते नहीं बल्कि हैं भी, ये आपको उनसे मुलाकात के बाद खुद पता चल जायेगा।
कुमार से जब हमने उनके बॉलीवुड तक के सफर और संघर्षों के बारे में बात की, तो उन्होंने सभी सवालों का बखूबी जवाब दिया। कुमार आर्यन के शब्दों में ‘अत्यंत साधारण घर में जन्म लिया और फिर भी मैंने हार नहीं माना। सपनों को उड़ान देने के लिए दिल्ली गया। मां बाबूजी जी चाहते थे मैं नौकरी करूं। दो सौ से ढाई सौ कंपनियों में इंटरव्यू दिया एक अच्छी नौकरी की तलाश में। नौकरी लग गई पर मैं यह नहीं चाहता था, क्योंकि ये मां बाबूजी की इच्छा थी।’
आगे कुमार कहते हैं कि ‘मेरी इच्छा दुनिया से कुछ अलग करने की थी। मेरा नाम ही मेरी पहचान हो, मैं कुछ अलग सोचता था। मेरा अभिनय के क्षेत्र में आना ईश्वरीय चमत्कार है मां काली और महादेव का स्वप्ना आया और मैं अपने गांव जाकर “कालिका नाट्य कला परिषद् ” के स्टेज पर फर्स्ट टाइम परफॉर्म किया। 2013 में वही मेरी पहली अभिनय की शुरुआत थी जिसने मेरी जिंदगी बदल दी, ऐसा मेरा मानना है। वह स्टेज ही काली मां और महादेव का मेरे लिए वरदान साबित हुआ। मेरी जिंदगी में ईश्वर से बड़ा कुछ नहीं है और डायरेक्टर सर्वोपरि है।
अपने संघर्षों के बारे में बात करते हुए कुमार भावुक हो गए। कुमार के मुताबिक ‘बहुत ही ज्यादा मेहनत किया है मैंने। 2 साल में 10 साल का मेहनत किया। कितने दिन भूखे रहने पड़े हैं। संघर्ष के उन क्षणों में स्टेशन के बाहर प्लेटफार्म पर सोया हूं। बस एक ही चीज समझ में आया मेरी नजर में कि ईश्वर से बड़ा कोई नहीं। माता पिता का आशीर्वाद हमेशा बना रहे और डायरेक्टर ही सर्वोपरि मेरे लिए, बांकी सब इश्वर की मर्ज़ी है।’
एक्टर बन्ने के अपने जूनून के बारे में बात करते हुए कुमार ने कहा कि ‘ऐक्टर क्या होता है यह मैं नहीं जानता। मुझे एक अच्छा परफॉर्मर बनना था, जो दुनिया को हंसा सके, रुला सके, किसी रूप में उनका मनोरंजन कर सके, जस्ट लाइक ए जोकर, जिसका काम दिल से, मेहनत से, इमानदारी से, सच्ची लगन से, साफ ह्रदय से अच्छी भावना के साथ, ईश्वर और डायरेक्टर के प्रति अपार श्रद्धा और समर्पित होकर काम करें वही मैं कर रहा हूं। आगे उन्होंने कहा कि “मुझे एक्टिंग के कीड़े ने नहीं ,सांप ने काटा है और मेरा इलाज डॉक्टर के पास नहीं, डायरेक्टर के पास है” जिनकी वजह से दुनिया धीरे धीरे मुझे जानने और पहचानने लगी है। डायरेक्टर चाहे तो सिंपल भी स्टार है और वह चाहे तो स्टार ही बेकार है”
जैसा कि नाम से ही मालूम हो रहा है कि कुमार आर्यन बॉलीवुड में एक लंबी पारी खेलेंगे। बता दें कि कुमार आर्यन को बॉलीवुड में पहचान प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म जय गंगाजल से मिली, जिसमें उन्होंने एक छोटा सा किरदार निभाया था, लेकिन इस छोटे से किरदार से मिली पहचान ने उन्हें कई बॉलीवुड फिल्मों में काम दिलवाया। आज एक साथ वह कई फिल्मों में काम कर रहे हैं। कुछ फ़िल्में जो बनकर तैयार है और जल्द ही बड़े पर्दे पर रिलीज होने जा रही है, ऐसे में दर्शकों को उनके आने वाली फिल्मों का बेसब्री से इंतजार है।
बहरहाल कुमार आर्यन ने अपना नाम तो बदलवा लिया है और वह मायानगरी के लिए पूरी तरीके से खुद को फिट करने में जुटे हैं। ऐसे में अब देखना यह है कि आने वाले समय में कुमार आर्यन लोगों के बीच अपनी छाप किस तरह से छोड़ते हैं ?
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