नई दिल्ली : इश्क़ पर जोर नहीं ग़ालिब, ये वो आतिश है कि जो लगाए न लगे, बुझाये न बुझे। ग़ालिब का ये कथन हर दौर के प्रेमी-प्रेमिकाओं पर सटीक बैठता है। इश्क़ अंजाम की परवाह नहीं करता, क्योंकि इश्क़ हर रोज़ अपनी नई शुरुआत करता है। आप सोच रहे होंगे कि हम आपको ये प्यार, इश्क़ और मोहब्बत के …
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