राम धीरज यादव की रिपोर्ट :
हैदरगढ़ (बाराबंकी) : निरंतर स्वस्थ अभ्यास एवं प्रभु के सुमिरन से चंचल मन पर अंकुश लगाया जा सकता है। सही मायने में सुमिरन से ही मन को साधा जा सकता है। उक्त बात आज श्री बाबा प्रेमदास कुटी पर आयोजित नौ दिवसीय श्री रामचरित मानस सम्मेलन के तीसरे दिन श्री महंत 108 लालता दास जी महाराज ने कथा में कहीं। जबकि दूसरी तरफ मानस सम्मेलन में श्रोताओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। यहां रात्रि में वृंदावन से आई हुई रासलीला नाट्य मंडली के द्वारा भगवान की लीलाएं भी मनचित्त की जा रही हैं।
महंत लालता दास जी महाराज ने बताया कि मन मनुष्य में एक ऐसी तरंग है जो बिना अभ्यास के बेअंकुश हो जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपना चित्त जिस दिशा में लगाएगा मन उसे लेकर उसी और जाएगा ।अब यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपना मन अच्छे कार्य में लगाता है या फिर बुरे कर्मों में।
उन्होंने बताया कि जो लोग प्रभु जी का सुमिरन करते हुए सतगुरु के चरणों में अपना समर्पण करते हुए मन पर अंकुश लगाने का अभ्यास करते हैं वह अपने चंचल मन पर विजय प्राप्त कर लेते हैं । इसी श्रंखला में पंडित अजय शास्त्री ने आज माता सती जी की कथा का श्रवण श्रोताओं को कराया ।उन्होंने बहुत ही भावनात्मक ढंग से भगवान श्री भोलेनाथ एवं माता सती की कथा को सुनाया।
शास्त्री ने बताया कि व्यक्ति अपने चरित्र का निर्माण स्वयं करता है जीवन में जो लोग ईश्वर पर विश्वास करते हैं और अपने सत कर्मो पर अटल रहते हैं उन्हें कोई भी परेशानी बहुत अवधि तक कष्ट नहीं पहुंचा पाती। इस मौके पर आज प्रमुख रूप से कथा में रामदास गुप्ता सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया ,संतोष मिश्रा, बाबा श्री राम तीरथ दास, पंडित अभय शास्त्री ,रमा बहादुर सिंह, तेजभान सिंह ,पप्पू जी, मुन्ना पांडे, यमुना प्रसाद श्रीवास्तव, कुंवर बहादुर यादव ,सरोज कुमार तिवारी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।