गांजा बिक्री का किस्सा, पुलिस को मिलता हिस्सा, पटरियों पर नशेड़ियों का जमावड़ा

आशीष गौरव पांडेय की रिपोर्ट :

वाराणसी : कहा जाता है कि पुलिस वह बला है कि अवैध धंधा करने वाला कितना शातिर क्यों न हों पुलिस को भनक लग ही जाती है। अगर पुलिसकर्मी ईमानदार रहा तो धंधेबाज को जेल मिलता है,नही तो अवैध धंधे में हिस्सेदारी का खेल चलता है। और हिस्सेदारी तय हो गयी तो पुलिस ‘मूंदहूं आंख कतहुं कछु नाहीं’ मोड पर आ जाती है। इसी तर्ज पर कुछ कैंट थाने के पाण्डेपुर चौकी पुलिसकर्मी कार्य कर रहे हैं।

मामला यह है कि पांडेपुर चौराहे भांग की दुकान का है,जहां भांग की दुकान का सेल्समैन खुलेआम नशे के तलबगारों को गाँजे की पुड़िया बेचता है। भांग की दुकान पर सुबह से गंजेड़ीयों की आवाजाही शुरू हो जाती है,जो दुकान बंद होने तक यह सिलसिला चलता रहता है। गौरतलब यह है कि यह सब पांडेयपुर चौकी से महज 200 मीटर की दूरी पर होता है। यही नही चौराहे पर ही देशी विदेशी शराब की तीन ठेके भी हैं, जहाँ दोपहर से सड़क के दोनों पटरियों पर नशेड़ियों का जमावड़ा हो जाता है। जबकि यहीं से औरतों बच्चों का आना जाना लगा रहता है और पुलिस पिकेट तो पचास मीटर पर ही है। और इसी रास्ते से जिले के आलाधिकारी और वीआईपी का आना जाना लगा रहता है, लेकिन लबे रोड बिक रहे गांजे पर किसी अधिकारी की नजर नहीं पड़ती है। पड़ती भी कैसे जब पुलिस ही हिस्सेदार बन गांजा बिकवा रही हो।

जब मीडियाकर्मी ने तफ्तीश की तो पता चला कि भांग की दुकान से गाँजा बिक रहे। यह भांग की दुकान राजू सेठ नाम के व्यक्ति की है और पांडेपुर चौकी का एक दबंग सिपाही है उसी के सरपरस्ती में यह गांजा बिक रहा है। इस धंधे में शामिल एक व्यक्ति ने अपना नाम न सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया कि यहां प्रतिदिन एक से दो किलो गांजा बिक जाता है। रोज एक थैली गांजा यहां बिकने आता है जिसमें करीब डेढ़ से दो गांजा होता है। यह सुबह से शाम तक बिक जाता है। अगर किसी दिन खपत ज्यादा हुआ तो। शाम तक मालिक भेजवा देता है।

जब पता किया गया कि अभी कितना गांजा है, तो ज्ञात हुआ कि अभी करीब 110 पुड़िया यानी करीब आधा किलो एक काले रंग की पॉलीथीन में गांजा पड़ा हुआ है। तफ्तीश के अगले क्रम में जब हमने यह जानना चाहा कि यह कैसे कब से बिक रहा है तो जानकारी मिली कि पांडेपुर चौकी का सिपाही ही इस धंधे का सेटर है। जबकि जहां पर गांजा बिक रहा है वह कैंट थाने के अर्दली बाजार चौकी में पड़ता है। लेकिन इस अवैध धंधे की वसूली यही सिपाही करता है।

इस बाबत जब हमने पांडेपुर चौकी प्रभारी से बात किया तो उनका कहना है कि हमको मालूम नहीं है। हमारे यहां एक सिपाही है जो उसी के देखरेख में रहता है , जब उस सिपाही का नाम पूछा गया तो उनका जवाब गोलमाल था और नाम बताने से इनकार कर दिए। चौकी से दो सौर और पुलिस लाइन से महज पांच सौ मीटर दूर हो रहे गाँजे के इस अवैध कारोबार पर जिले के कप्तान की भृकुटी कब टेढ़ी होती है यह वक्त बताएगा।

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