प्रवीण कुमार मिश्रा की रिपोर्ट :
श्रावस्ती : जिलाधिकारी दीपक मीणा ने मुख्य विकास अधिकारी अवनीश राय के साथ खसरा और रूबैला टीकाकरण अभियान की जमीनी हकीकत जानने के उद्देश्य से विकासखण्ड इकौना के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय भोजपुर एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय भोजपुर जा पहुंचे। वंहा पर देखा गया कि टीकाकरण के लिए कुल 364 बच्चों का पंजीकरण किया गया जिसके सापेक्ष 132 बच्चों का टीकाकरण हुआ है। टीकाकरण कम होने पर वंही पर उपस्थित आशा एवं आगनवाडी कार्यकत्री को कडभ् फटकार लगाई तथा निर्देश दिया कि पंजीकरण बच्चों के सापेक्ष शत-प्रतिशत टीकाकरण कराना सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने शिक्षा की गुणवत्ता परखने के उद्देश्य से कक्षा 8 का छात्र लल्ला श्रीवास्तव से हिन्दी की किताब पढ़ने को कहा परन्तु छात्र द्वारा किताब नही पढ पाये, वंही पर उपस्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक विजय पाल गौतम को कड़ी फटकार लगाई। निर्देश दिया कि बच्चों को अक्षर ज्ञान करायें। प्राथमिक विद्यालय के बच्चों द्वारा ड्रेस, जूता-मोजा नही पहने हुए थे जिस पर वंही पर उपस्थित प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक राजीव कुमार को कड़ी फटकार लगाई कि बच्चों को ड्रेस से स्कूल आने के लिए कहा जाए तथा उनको नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया जाय।
जिलाधिकारी ने बताया है कि खसरा एक जानलेवा बीमारी है और बच्चों में अपंगता और मृत्यु के बड़े कारणों में से एक है। यह बहुत संक्रामक रोग है और यह एक प्रभावित व्यक्ति द्वारा खांसने और छीकंने से फैलता है। खसरा आपके बच्चे को निमोनिया, दस्त और दिमागी संक्रमण जैसी जीवन के लिए घातक जटिलताओं के प्रति सवेंदनशील बना सकता है। खसरा के लक्षण जैसे तेज बुखार के साथ त्वचा पर दिखाई पड़ने वाले लाल चकत्ते, खासी, बहती नाक और लाल आॅखें होना।
प्रभारी जिलाधिकारी ने बताया कि अगर स्त्री को गर्भावस्था के आरम्भ में रूबैला संक्रमण होता है तो सी0आर0एस0(जम्नजात रूबैला सिंड्रोम) विकसित हो जाता है जो भ्रूण और नवजात शिशुओं के लिए गम्भीर और घातक साबित हो सकता है। प्रारम्भिक गर्भावस्था के दौरान रूबैला से संक्रमित माता से जन्मे बच्चे में दीर्घकालीन जन्मजात विसंगतियों से पीड़ित होने की संभावनाएं बढ़ जाती है जिससे आंख(ग्लूकोमा, मोतियाबिन्दु), कान(बहरापन), मस्तिष्क(माइक्रोसिफेली, मानसिक मंदता) प्रभावित होते हैं तथा दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रूबैला से गर्भवती स्त्री में गर्भपात, अकाल प्रसव और मृत प्रसव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।