लेखिका मृदुला घई ने पत्रकारों पर एक बहुत ही सुंदर कविता लिखी है। उनकी यह कविता सोशल मीडिय पर खूब वायरल हो रही है। पत्रकारों के साथ साथ आम लोगो द्वारा भी इसे खूब पसंद किया जा रहा है। मृदुला घई की कविता को वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ़ इण्डिया सम्बद्ध भारतीय मज़दूर संघ के राष्ट्रिय महासचिव नरेंद्र भंडारी ने साझा की है। उन्होंने कहा इस कविता के जरिये पत्रकारों के पैशन और उनकी मेहनत को दर्शाया गया है।
आपको बता दे साहित्यिक रुझान के चलते हिंदी की कई पत्र पत्रिकाओं में इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं ।इनकी काफ़ी रचनाएँ औरतों और शोषित वर्गों के मुद्दों को बखूबी बयां करती हैं। ‘उड़ान’, ‘सच’, ‘कल्लो’, ‘यमुना’ इत्यादि इनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं। उर्दू के कई पत्र पत्रिकाओं में इनकी कई रचनाओं का अनुवाद छपा हैं।
आप भी पढ़े इस कविता को
देश के पत्रकार
इस देश के पत्रकार हैं हम
नव युग के चित्रकार हैं हम
नए दौर के आगाज़ हैं हम
हर इन्सान की आवाज़ हैं हम
क्षण क्षण बिल्कुल तैयार हैं हम
हर इक पहर चलायमान हैं हम
आंधी बरसात धूप तैनात हैं हम
सर्दी गर्मी से अनजान हैं हम
अपने घर में मेहमान हैं हम
हर सच की पहचान हैं हम
कलम हाथ में तलवार हैं हम
उठाए कैमरा माइक इतिहासकार:
है हम
इस देश के पत्रकार हैं हम
नव युग के चित्रकार हैं हम
नये दौर के आगाज़ हैं हम
हर इन्सान की आवाज़ हैं हम
मजबूर निर्धन के साथ हैं हम
उस प्यासे की प्यास हैं हम
हर दुख के एहसास हैं हम
टिसते दर्द के जज़्बात हैं हम
गरीब के संग रोते हैं हम
फटी बोरी पर सोते हैं हम
बिन पंखे गर्मी सहते हैं हम
सूखी रोटी पर रहते हैं हम
इस देश के पत्रकार हैं हम
नव युग के चित्रकार हैं हम
नये दौर के आगाज़ हैं हम
हर इन्सान की आवाज़ हैं हम
कानून व्यवस्था का झंडा है हम
हर मुजरिम का फंदा हैं हम
हर जुर्म का हिसाब हैं हम
न्याय पाने की किताब हैं हम
बेगुनाह जन की जुबान हैं हम
संघर्षी मानव के अरमान हैं हम
हर गुनहगार के दुश्मन हैं हम
उनकी गोलियों के शिकार हैं हम
इस देश के पत्रकार हैं हम
नव युग के चित्रकार हैं हम
नये दौर के आगाज़ हैं हम
हर इन्सान की आवाज़ हैं हम
हर बदलाव को आग हैं हम
जन विद्रोह का भाव हैं हम
पुलिस लाठी का निशाना हैं हम
लोक मत का अफ़साना हैं हम
हरदम आतंकवाद को मौत हैं हम
आतंकी हदय का खौफ हैं हम
गोली बारुद के आदी हैं हम
जेल जेल के बाराती हैं हम
इस देश के पत्रकार हैं हम
नव युग के चित्रकार हैं हम
नये दौर के आगाज़ हैं हम
हर इन्सान की आवाज़ हैं हम
हर जंग के जंगी हैं हम
लड़ते जवानों के संगी हैं हम
हर शहीद की शहादत हैं हम
ईमानदारी सच्चाई की इबादत हैं हम
खुद ज़ोखिम उठाते कफ़न हैं हम
पथराई ख्वाहिशो मे दफ़॑न हैं हम
हर दहशत की हार हैं हम
हर थकान से पार हैं हम
इस देश के पत्रकार हैं हम
नव युग के चित्रकार हैं हम
नये दौर के आगाज़ हैं हम
हर इन्सान की आवाज़ हैं हम
कोरोना युद्ध के सेनानी हैं हम
इस महामारी की कहानी हैं हम
सूने शहर की निगरानी हैं हम
‘दहकते मरघट की जुबानी हैं हम
जागरूकता के लिए कुर्बानी हैं हम
मरे साथियों की निशानी हैं हम
इस पतझड़ का विकल्प हैं हम
‘कोरोना नाश का संकल्प हैं हम
इस देश के पत्रकार हैं हम
नव युग के चित्रकार हैं हम
नये दौर के आगाज़ हैं हम
हर इन्सान की आवाज़ हैं हम
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