Breaking News

तारिक अनवर को कांग्रेस से महासचिव पद का प्रस्ताव ! कांग्रेस के टिकट पर लड़ेंगे चुनाव, राजद करेगा समर्थन !

तौक़ीर रज़ा की रिपोर्ट :

नई दिल्ली : ऐसे समय में जब कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने राफेल सौदा मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गुजराती उद्योगपति अनिल अंबानी को तथ्यों सहित घेरना शुरू किया है, तब इस मामले में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट देकर न केवल मोदी को बल्कि अपने घनिष्ठ उद्योगपति अनिल अंबानी को तो बचाने का काम किया ही है, कांग्रेस के मोदी विरोधी अभियान को भी पलीता लगाने का काम किया है।



पवार के इस कदम से उनके सहयोगी इस कदर नाराज हुए कि कटिहार (बिहार) के सांसद तारिक अनवर ने तो न सिर्फ पार्टी की सदस्यता बल्कि लोकसभा से इस्तीफे की भी घोषणा कर दी। हालांकि ऐसा करके तारिक और पवार दोनों ने दूर की गोटी खेली है। पवार एक तरफ यह करके मोदी और अनिल अंबानी को मदद कर रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस से फिर गठबंधन करके चुनाव लड़ने की भी बात कर रहे हैं। साथ ही यह भी चाहते हैं कि कांग्रेस उनको फिलहाल अघोषित तौर पर प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी मान ले। इस तरह पवार अपनी पांचों अंगुली घी में रखना चाहते हैं।



उधर, तारिक अनवर पिछला 2014 का लोकसभा चुनाव तो राजद के समर्थन से जीत गए थे, लेकिन इस बार उनकी राह मुश्किल लग रही थी। इसलिए आम चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा देकर उन्होंने हवाओं का रुख अपनी तरफ मोड़ लिया। तारिक अनवर के विश्वस्त व सहयोगी रहे एक व्यक्ति का कहना है कि शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर 1999 में कांग्रेस छोड़कर अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई थी। जिसके संस्थापकों में पीए संगमा और तारिक अनवर भी थे। महाराष्ट्र में 1999 में विधानसभा चुनाव दोनों पार्टी अलग -अलग लड़ीं लेकिन सरकार बनाने के लिए साथ आ गए। उसके बाद शरद पवार कांग्रेसनीत गठबंधन यूपीए की सरकार में 2004 से 2014 तक मंत्री रहे। लेकिन जब केन्द्र में मई 2014 में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बन गई तो, अक्टूबर 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए पवार कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़े। लेकिन महाराष्ट्र में भी अलग-अलग विधानसभा चुनाव लड़ने के बावजूद सत्ता के लिए भाजपा व शिवसेना साथ आ गए।



पवार न तो केन्द्र में, न ही राज्य में भाजपा सत्ता में साझेदारी कर सके। दोनों जगह भरपूर बहुमत होने से भाजपानीत गठबंधन को पवार की जरूरत ही नहीं पड़ी। ऐसे में पवार ने फिर से कांग्रेस के साथ गठबंधन करके महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने की घोषणा की हैं। इसके बावजूद वह मोदी को मदद करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। जिससे मुस्लिम बहुल संसदीय क्षेत्र कटिहार से जीते तारिक अनवर को 2019 में राकांपा के टिकट पर चुनाव लड़ने पर मुस्लिमों की नाराजगी का भय हो गया है। इसलिए उन्होंने पवार की पार्टी राकांपा और संसद सदस्यता से 28 सितम्बर 2018 को इस्तीफा दे दिया।
इसके बारे में वरिष्ठ पत्रकार डा. हरि देसाई का कहना है कि महाराष्ट्र में जब कांग्रेस-राकांपा की सरकार थी तब शरद पवार के भतीजे अजीत पवार सिचाई



मंत्री थे। उस दौरान उन पर अरबों रुपये के घोटाले के आरोप लगे थे। उसकी जांच लटकी पड़ी है। इसी तरह से केन्द्र में यूपीए सरकार के समय राकांपा के नेता प्रफुल्ल पटेल नागर विमानन मंत्री थे। उनके कार्यकाल में कई हजार करोड़ रुपये के बोईंग विमान खरीदे गये थे। उस खरीद में घोटाले के आरोप लगे थे। उसकी भी जांच की फाइल लटकी पड़ी है। आशंका है कि इस सबके कारण ही शरद पवार वह सब कर रहे हैं जिसके कारण तारिक अनवर ने उनका साथ छोड़ा है।



इस मामले में एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि तारिक अनवर कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। कांग्रेस छोड़कर जाने, राकांपा बनाने के बाद भी उनकी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित अन्य सभी से अच्छी बनती है। यूपीए सरकार में भी कृषि राज्यमंत्री रहे हैं। ऐसे में यदि वह फिर कांग्रेस में वापस आते हैं तो इससे पार्टी को बहुत लाभ होगा।



इस पर कांग्रेस के एक पूर्व सांसद का कहना है कि तारिक अनवर की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से कई मुलाकात हो चुकी है। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से भी मुलाकात मुलाकात हुई थी। यदि वह कांग्रेस में वापस आते हैं, तो उनको महासचिव पद मिलना पक्का है। पहले भी वह यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष, 1980 में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। जब कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी थे, तो तारिक उनके राजनीतिक सलाहकार भी रह चुके हैं। यह बताना जरूरी लगता है कि राजनीति में तारिक अनवर सीताराम केसरी की ही खोज खे जाते हैं| कांग्रेस उनको कटिहार से टिकट भी दे देगी। उनको राजद भी सपोर्ट करेगा।



तारिक अनवर को 2014 के लोकसभा चुनाव में कटिहार संसदीय क्षेत्र से 4,31,292 वोट मिले थे । जबकि मोदी की आंधी में भाजपा प्रत्याशी निखिल कुमार चौधरी को 3,16,552 वोट ही मिले। जो कि तारिक अनवर को मिले वोट से 1,14,740 वोट कम थे। ऐसे में यदि 2019 के लोकसभा चुनाव में तारिक अनवर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं और राजद उनको सपोर्ट करेगी ही, तो वह 2014 से अधिक वोट से जीतेंगे। इसीलिए इस बार उन्होंने राफेल सौदे मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी को क्लीनचिट देने वाली बात कह लाभ पहुंचाने और कांग्रेस, राजद के मुहिम को झटका देने की राकांपा नेता शरद पवार की चाल का विरोध करते हुए पार्टी व संसद सदस्यता से इस्तीफा दिया है। इसका कटिहार की जनता में, विशेषकर मुस्लिम समाज में बहुत अच्छा संदेश गया है। इसलिए 2019 के लोकसभा चुनाव में तारिक अनवर को 2014 से भी अधिक वोट मिलने की संभावना है।


Kanhaiya Krishna

Share
Published by
Kanhaiya Krishna

Recent Posts

Delhi Lok Sabha Election: कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज ने भरा नामांकन, रैली में इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ता शामिल

कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज ने भरा नामांकन, रैली में इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ता शामिल रिपोर्ट:…

2 weeks ago

test

test test

2 weeks ago

test

test test

2 weeks ago

PeachSkinSheets® Características Parejas Transpirables, Deluxe Sábanas en Asequible Costos

El breve Versión: entre los formas más efectivas de impulsar descansar es por crear tu…

2 months ago

19 más fácilmente útil Desliza Aplicaciones para Citas (100 % liberado para intento)

Algunos ocasiones trascendentes han hecho antecedentes y moldearon los destinos de generaciones por venir. La…

2 months ago

Estafa : MatureContactService.com Desires Estados Unidos Pensar 161 pumas enviados por correo electrónico Estados Unidos , Es ¡Una mentira !

Sitio web Detalles: Cost: 8 crédito tienintercambio de parejas liberalesn a ser 13,92 AUD. 25…

2 months ago