चन्द्रिका भास्कर की रिपोर्ट
रायगढ़ : छत्तीसगढ़ राज्य के वर्तमान में साक्षर भारत कार्यक्रम 31 मार्च 2018 को बन्द हो गया है,जिसमे हमारे रायगढ़ ज़िला के 1400 प्रेरक एवं जशपुर के 821 यानी 2221 प्रेरक कार्यरत थे। जिनका चयन वर्ष 2006-07 में जिला स्तरीय परीक्षा के माध्यम से किया गया था, जो वर्तमान स्थिति में समस्त प्रेरक बेरोजगार हो गए है।
साक्षर भारत कार्यक्रम तहत प्रत्येक पंचायत में स्तर में एक महिला एवं एक पुरुष असाक्षर को साक्षर करने का लक्ष्य प्रेरको को सौंपा गया था। जिसको प्रेरको के द्वारा बखूबी से अपना दायित्व को निभाया गया। इसके एवज में प्रेरको को प्रतिदिन महज़ 66.70 रुपए अर्थात 2000 मासिक मानदेय स्वरूप दिया जाता था। वर्तमान की स्थिति में 90 प्रतिशत प्रेरको की आयु सीमा शासकीय सेवा हेतु सिमा पार हो गयी है। जिसके कारण अब वे किसी अन्य दूसरी नौकरी पाने हेतु उम्र की अहर्ता को नही रखते है, जिसके कारण हमारा भविष्य भी अंधकारमय हो गया है। जिससे हमारे समक्ष रोजी रोटी की समस्या उतपन्न हो गयी है, जबकि साक्षर भारत कार्यक्रम के प्रेरक अनेक साक्षरता कार्यक्रम में लगातार अलप मानदेय में सेवा देते आ रहे थे। चाहे वह सम्पूर्ण साक्षरता अभियान हो या उत्तर साक्षरता कार्यक्रम ,पढ़ना-बढ़ना आंदोलन,सतत,शिक्षा कार्यक्रम या साक्षर भारत कार्यक्रम के प्रेरको ने अपने दायित्यों का निर्वहन सत्य एवं निष्ठा के साथ करते आ रहे थे। परंतु साक्षर भारत कार्यक्रम को 31 मार्च 2018 को बंद हो जाने के कारण सभी प्रेरको में निराशा एवं हताश व्याप्त है।
साक्षर भारत प्रेरको की प्रमुख मांगे:-
साक्षरता प्रेरको के द्वारा किये गए प्रमुख उल्लेखनीय कार्य:-
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