नई दिल्ली : 1984 सिख दंगों के मामले में 34 साल बाद बड़ा फैसला आया है। इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करना होगा। इससे पहले निचली अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया था। उम्रकैद के अलावा सज्जन कुमार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इसके अलावा बाकी दोषियों को जुर्माने के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने होंगे।
सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “1947 की गर्मियों में विभाजन के दौरान बहुत सारे लोगों का कत्लेआम किया गया था। उसके ठीक 37 साल बाद दिल्ली फिर वैसी ही त्रासदी का गवाह बनी। आरोपी को राजनीतिक लाभ मिला और वह ट्रायल से बचता रहा।”
अदालत ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह एक असाधारण केस था जिसमें सज्जन कुमार के खिलाफ सामान्य परिस्थितियों में कार्यवाही करना बहुत मुश्किल था। इसका कारण ये है कि बड़े पैमाने पर सज्जन कुमार के खिलाफ चल रहे मामलों को रिकॉर्ड में न लेकर इन्हें दबाए जाने का प्रयास किया जाता रहा।
अदालत ने आगे कहा कि, जो केस रजिस्टर भी थे उनकी जांच ठीक से नहीं हुई और जिन मामलों में जांच आगे भी बढ़ती तो उन्हें भी किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचने दिया गया। यहां तक कि बचाव पक्ष भी इस बात से इंकार नहीं करेगा कि जहां तक एफआईआर की बात है क्लोजर रिपोर्ट तैयार कर ली गई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिस वक्त फैसला पढ़ा जा रहा था, पीड़ित पक्ष के वकील रोने लगे. यही नहीं, फैसला पढ़ते हुए जज की आंखें भी नम हो गईं। सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि कई दशक से लोग न्याय का इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ये जांच एजेसिंयों की नाकामी है कि अब तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ है।