कानपूर : यूपी के जनपद कानपूर में पुलिस ने लोगों की किडनी और लीवर बेचने वाले गैंग का पर्दाफ़ाश करते हुए गैंग में शामिल 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों पर मानव अंगों की अवैध रूप से तस्करी किये जाने का आरोप है। वहीँ राजधानी दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों को भी इस नेटवर्क का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसके खिलाफ पुलिस सबूत जुटा रही है।
कानपुर दक्षिण के पुलिस अधीक्षक रवीना त्यागी ने बताया कि यह गिरोह गरीबों को अपने जाल में फंसाता था और उन्हें डोनर बनाकर जरूरतमन्दों को उनकी किडनी या लीवर बेच देता था। एक किडनी की कीमत 25 से 30 लाख और लीवर की कीमत 70 से 80 लाख होती थी। इस सौदेबाजी में डोनर को 4 लाख रुपए दिए जाते थे और बाकी बिचैलियों के बीच बंट जाता था।
मानव अंगों के कारोबारियों ने फर्जीवाड़े का भी पूरा जाल फैलाया हुआ था। वो किडनी बेचने वाले को किडनी खरीदने वाले का रक्त सम्बन्धी बनाकर ले जाते थे। पहचान पत्र के रूप में उनके पास फर्जी वोटर आईडी, आधार कार्ड और पासपोर्ट बनाने के सभी साधन मौजूद थे। पुलिस ने अपने छापे में कई जिलाधिकारियों, पुलिस अधिकारियों की मोहरें, हर तरह के नकली पहचान पत्र, बैंकों के दस्तावेज और एफीडेविटों का भंडार बरामद किए हैं।
इस अमानवीय धन्धे का मास्टरमाइंड कोलकाता का अरबपति सेठ राजू राय है, जिसके देश के कई नामी गिरामी डॉक्टरों से तार जुड़े हैं। पुलिस कार्रवाई की भनक लगने से वो अंडरग्राउंड हो गया है। पकड़े गए बिचैलियों ने पुलिस के सामने इकबाल-ए-जुर्म किया है कि वे दिल्ली के फोर्टिस और पीएसआरआई अस्पताल में किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट कराते थे। पुलिस के अनुसार फोर्टिस हॉस्पिटल की कोआर्डिनेटर सोनिका और पीएसआरआई हॉस्पिटल में कोआर्डिनेटर सुनीता के माध्यम से इस गिरोह की डील होती थी और फिर वहां फर्जी दस्तावेज दाखिल कर अंगों का प्रत्यारोपण किया जाता था।
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