सूरजपाल यादव की रिपोर्ट
भिवंडी महाराष्ट्र। कपडा उद्योग का मैनचेस्टर माना जाने वाला शहर आज बदहाली के कगार पर पहुँच गया है । बतादें भिवंडी शहर देश दुनिया को कपडा आपूर्ति के लिये अपना एक विशेष महत्व रखता । लेकिन पिछले कुछ सालों से शासन-प्रशासन की अनदेखी व सट्टा बाजारी के चलते यहाँ का व्यवसाय चरमरा गया है । ज्ञात हो कि भिवंडी में 100 से अधिक सायजिंग कारखाने चल रहे हैं जहाँ से वार्प धागों की भीम बनाकर भिवंडी पावरलूम कारखानों में कपडा तैयार करते हैं । भिवंडी के कारखाना मालिक जहाँ एक तरफ टोरंट के बढे हुये पावर बिल की मार झेल रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कच्चा माल ( रा मटेरियल ) के बेतहाशा बढते दामों की मार से परेशान हो रहे हैं । उक्त समस्या से त्रस्त होकर अपनी आवाज को प्रशासन तक पहुंचाने के लिये भिवंडी सायजिंग वेल्फेयर एसोसिएशन ने स्व. आनंद दिघे चौक स्थित एक सभा का आयोजन कर ३१ दिसंबर से २ जनवरी तीन दिनों के लिये अपने अपने सायजिंग कारखानों को बंद करने का ऎलान किया है । इस सभा में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल , कल्याण के प्रादेशिक अधिकारी डी.बी. पाटिल अपने सहकर्मियों के साथ उपस्थित थे । प्रदूषण मंडल अधिकारी पाटिल ने सभा का मार्गदर्शन करते हुये मंडल द्वारा जारी किये जाने वाले कंस्टेंट प्रमाणपत्र लेने के लिये आग्रह किया । इस सभा की अध्यक्षता हरकचंद डोढिया ने किया । कार्यक्रम का सूत्र संचालन एसोसिएशन के सचिव अजयकुमार यादव ने किया । इस अवसर पर आनंद गुप्ता , शकील मर्चेंट , हंसमुख भाई पटेल ,ईसा सेठ , मनसुख पटेल , मोहज्जम मोमिन , प्रेमनारायण राय समेत असंख्य सायजिंग कारखाना मालिक उपस्थित थे ।
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