रोहित चहल युवा राजनीतिज्ञ छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति तक

रोहित चहल युवा राजनीतिज्ञ छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति तक Rohit Chahal Young politician students politics to mainstream politics

नए भारत के निर्माण सभी लोगों ने अपनी भागीदारी देकर अपने हिस्से की आहुति दे रहें है वही एक युवा अपने दिल में नए भारत का सपना लिए लगातर संघर्ष कर रहा था

दिल्ली विश्वविध्यालय की हर दीवार पर उसका नाम अंकित हो चूका था युवाओ के दिल में उसके लिए स्नेह गौरव आत्मविश्वास भरता गया सभी ने अपनी छात्र हितों की लड़ाई के लिए सिर्फ उसकी और देखा यही से उनके हौसलों को एक नई उड़न मिली वो बोलते है ना कि “आसमां कितना भी ऊँचा क्यों ना हो सब हौसलो के उड़ान के आगें उसको नतमस्तक होना ही पड़ता है”

                रोहित चहल युवा राजनीतिज्ञ छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति तक

कुछ यही सोच रही होंगी इस दिल्ली के युवा के दिल में

जब हम पुराने विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ बात करते है तो रोहित चहल को लेकर एक अजीब सी दिवानगी साफ़ दिखाई देती है बातों को लेकर, स्पष्ट निर्णय को लेकर अटल, व्यवहार ऐसा की जैसे कल ही मिले हो, कुछ छात्र तो ऐसा बोलते हैं कि जब रोहित चहल विश्वविद्यायल परिसर में होते थे तो भीड़ खुद हो जाती थी यह उसके अटूट परिचय का साथ ही काम को लेकर गंभीरता ही थी जो उनका करवा बढ़ता गया

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन का काम पूरे दिल्ली के सभी कॉलेज तक ले जाने में इनकी कुशल रणनिति ही थी जो सभी कॉलेजो संगठन विजय प्राप्त हुई उस युवा का नाम रोहित चहल है आज वो लगातार सफलता की बुंलदियों में गूँजता एक नाम नहीं अपने काम की पहचान बन चूका है

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में एक लंबे समय तक काम करते हुए वो राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचे उनको सही दिशा देने में उनके राजनीतिक गुरु सुनील बंसल का अहम योगदान रहा है संगठन को लेकर बारिकी कुशलता उनके गुरु की ही देन है रोहित चहल लिंगदोह कमेटी का शिकार होने वाले

पहले छात्र नेता थे इसी कारण जब विद्यार्थी परिषद ने जब उन्हें डूसू अध्यक्ष के लिए अपना

रोहित चहल युवा राजनीतिज्ञ छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति तक

उम्मीदवार बनाया तो परिषद ने भीं ऐसा नहीं सोचा था कि उम्मीदवारी घोषित होने के बाद ऐसा भी कुछ होगा वो समय रोहित चहल के लिए धैर्य का समय था और खुद को संगठन कार्यशैली में फिर शामिल कर आगें बढ़ने का था जो आगे सही साबित हुआ।

अपने लबे अनुभव के कारण उनको छात्र राजनीति से आगे जा कर देश सामाज का काम करना था वैसे भी रोहित अभी कहाँ रुकने वाले थे जब उन्होंने देशद्रोही अलगावादी नेता गिलानी के सामने नारा लगया “देश के गदारो को जूते मारो सारो को।

तो उनकी आवाज़ लंबी थी राजनीतिक समझ रखने वाले लोगों को इस बात का अंदाजा हो गया था कि रोहित की मंजिल लंबी है

जल्दी ही रोहित को भारतीय जनता युवा मोर्चा जो की भाजपा का युवा विंग है उसका राष्ट्रीय मिडिया प्रभारी बनाया गया और आगे चल कर उनको युवा मोर्चा जम्मू कश्मीर का प्रभारी भी बनाया गया और उन्होंने लगातर प्रवास कर मध्य प्रदेश महाराष्ट्र बंगाल राजस्थान आदि में संगठन का विस्तार किया

रोहित चहल को पढ़ने लिखने का काफ़ी शोक है वह उनकी राजनीतिक समझ ही थी जो उनका ध्यान देश में होने वाली हर धटना को विस्तार के पढ़ना ,उसकी तह तक जाकर पड़ताल करना सामजिक विषयों जन आंदोलन करना और निर्णायक स्तर पर लेकर आना।

इसी सूझबूझ को देखने हुए भाजपा संगठन ने मिडिया में अपना पार्टी चहरा बनाया आज सभी बड़े टीवी शो पर टीवी डिबेट पर आते हैं एक आम युवा के लेकर आज भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता के रूप में रोहित चहल किसी रॉकस्टार की छवि से कम नहीं है

Kanhaiya Krishna

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Kanhaiya Krishna

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