संतोष यादव की रिपोर्ट
सुलतानपुर। किशोरी से दुष्कर्म व गर्भपात न कराने पर जान से मारने की धमकी के मामले में आरोपी की तरफ से किशोर न्यायालय में अंतरिम जमानत व पेरोल की मांग को लेकर अर्जी प्रस्तुत की गयी। जिस पर सुनवाई के पश्चात बोर्ड के अध्यक्ष न्यायाधीश सतीश कुमार मगन ने अर्जी को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया।
मामला कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के वजूपुर से जुड़ा है। जहां के रहने वाले शमीम उर्फ बुगुल के खिलाफ 14 वर्षीय पीडि़ता की मां ने बीते 17 दिसम्बर को स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप है कि शमीम उर्फ बुगुल पुत्र कलीम जबरन उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म किया,जिससे वह प्रेगनेंट भी हो गयी। करीब सात माह बाद अल्ट्रासाउंड कराने पर जब पीडि़ता के घर वालों को यह बात पता चली तो लोक-लाज के डर से उन्होंने पहले आरोपी शमीम व उसके पिता कलीम से शादी का प्रस्ताव भी रखा। फिलहाल किशोरी की अस्मत से खिलवाड़ करने वाले आरोपी को उसका दर्द समझ नहीं आया और उसने गर्भपात कराने के लिए कहा। इतना ही नहीं गर्भपात न कराने एवं केस दर्ज कराने पर आरोपी के बड़े भाई सन्नन ने पीडि़त पक्ष के परिवारीजनों को गोली मारने की भी धमकी दी। फिलहाल किसी तरह से हिम्मत जुटाते हुए पीडि़ता की मां ने थाने पर तहरीर दी तो आरोपी शमीम व सन्नन के खिलाफ भादवि की धारा 376,504,506 में मुकदमा दर्ज किया गया। पीड़िता का अदालत में 164 दप्रसं के अंतर्गत बयान भी दर्ज हुआ। बयान में पीड़िता ने सह आरोपी के रूप में वसीम,सोनू,उमैदा बानो व शाकिरा का भी नाम लिया है। मालूम हो कि कुछ दिनों पूर्व दुष्कर्म पीड़िता को पुत्र भी पैदा हुआ।अब उसके साथ-साथ एक बच्चे की जिंदगी भी अंधकार में है। इस मामले में काफी दिनों तक पुलिस ने किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की,बल्कि उन्हें बचाने के लिए कानूनी दांव-पेंच बताती रही। जिसके क्रम में आरोपी शमीम की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी। जिसमें कुछ महीनों तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक भी लगी रही,वहीं स्थानीय पुलिस को अभियुक्त शमीम एसीजेएम प्रथम की अदालत में सरेंडर अर्जी देकर गुमराह करता रहा। फिलहाल अभियोजन पक्ष जब हाईकोर्ट में पेश हुआ तो मौजूद साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी की गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा दी। जिसके बाद हरकत में आयी पुलिस ने शमीम को गिरफ्तार कर जेल भेजा,जबकि शेष आरोपियों की गिरफ्तारी पुलिस अभी तक नहीं कर सकी है। इसी मामले में आरोपी शमीम उर्फ बुगुल की तरफ से किशोर न्याय बोर्ड में अंतरिम जमानत व पिता की मौत का कारण दर्शाते हुए पेरोल पर रिहा करने की मांग की गयी। जिस पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अपने साक्ष्यों एवं तर्कों को पेश कर आरोपी को रिहा करने की मांग की। वहीं अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता अंकुश यादव ने शमीम के खिलाफ लगे आरोप को अत्यंत गंभीर बताते हुए जमानत पर विरोध जताया एवं पेरोल की मांग को भी जायज न बताते हुए अर्जी खारिज किये जाने की मांग की। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात किशोर न्याय बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार मगन ने आरोपी शमीम की अर्जी को खारिज कर दिया।
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