रामकृष्ण पाण्डेय की रिपोर्ट
भदोही। जिसका मन निर्मल होता है प्रभु की कृपा उसी पर होती है। प्रभु को छल, कपट और प्रपंच अप्रिय है। स्त्रियों और बच्चों का मन सबसे निर्मल होता है। जनकपुर में प्रभु का दर्शन पाकर महाराज जनक और वहाँ की प्रजा अति प्रसन्न हो गई। यह आध्यात्मिक प्रवचन शनिवार अयोध्या से पधारे पंडित तुलसी शरण महराज ने ज़िले के हरीपुर (पूरेदरियाव ) अभिया में आयोजित पांच दिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा के अंतिम दिन श्री राम विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा।
जनकपुर में प्रभु राम की छवि देख सीता की साखियां भाव विभोर हो गई। राम के सुंदरता की चर्चा वह जानकी से कर बेहद ख़ुश हो रही थी। साखियां आपस में कह रही थी हम सभी इन्हें जानते हैं , दोनों कुमार महाराज दशरथ के पुत्र हैं। कौशिक मुनि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करने आये हैं। इन्होंने निशाचरो का विनाश किया है। श्रीराम अनुज लक्ष्मण के साथ जनकपुर की सुंदर छवि देख अति प्रसन्न हुए। भक्ति सर्वोपरि होती है। भागवान भी पारब्रह्म होते हुए भी गुरु की सेवा करते हैं। सेवा और समपर्ण से भक्ति की प्राप्ति होती है। बुरी संगत का असर भी बुरा होता है। सत्संग से सत्य की प्राप्ति होती है । बुरे व्यक्ति की संगत से हमेशा परहेज़ करना चाहिए।
कथा के अंतिम दिन समापन पर आरती और भजन का भक्तों ने आनंद लिया। इस दौरान भक्त भाव विभोर होकर नाचने लगे। इस दौरान यजमान पंडित गुलाब दूबे , राकेश दूबे , उमाशंकर दूबे, रामनिधि, सुरेश , रमेश, रामधनी, मुन्ना दूबे , रविशंकर , बब्बू , सुनील सिंह , प्रमोद शुक्ल , दिलीप शुक्ल , कड़ेदिन दूबे, दिनेश शुक्ल, संजय दूबे और काफी संख्या में अंतिम दिन काफी संख्या में महिलाएँ और दूसरे लोग मौजूद रहे।