जिले के प्रगतिषील किसान हुए सम्मानित, सांसद ने कहा ‘किसानो के मसीहा थे चौधरी चरण सिंह’

प्रवीण कुमार मिश्रा की रिपोर्ट :

श्रावस्ती : चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर ग्राम में एक मध्यम वर्गीय कृषक परिवार में हुआ था। इनका परिवार जाट पृष्ठभूमि वाला था। चैधरी चरण सिंह भारत के पाँचवें, प्रधानमंत्री थे। चरण सिंह किसानों की आवाज बुलन्द करने वाले प्रखर नेता माने जाते थे। चैधरी चरण सिंह का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक रहा। इस प्रकार उनका कार्यकाल लगभग नौ माह का रहा। इसके अतिरिक्त चैधरी चरण सिंह भारत के गृहमंत्री, उपप्रधानमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। किसानों के वे सच्चे हितैसी थे। देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दुगना करने का जो संकल्प लिया है उसे पूरा करने की दिशा में कार्य कर रही है। उक्त विचार कलेक्ट्रेट स्थित तथागतहाल में आयोजित सब मिशन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन(आत्मा) योजनान्तर्गत स्व0 चैधरी चरण सिंह के जन्म दिवस के अवसर पर किसान मेला/रबी उत्पादन गोष्ठी का फीटा काटकर, दीप प्रज्वलित तथा चैधरी चरण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण करने के उपरान्त तथा किसान सम्मान दिवस में आए हुए किसानो को सम्बोधित करते हुए सांसद दद्दन मिश्रा ने दिया है।

उन्होने बताया कि चैधरी चरण सिंह को परिवार में शैक्षणिक वातावरण प्राप्त हुआ था। स्वयं इनका भी शिक्षा के प्रति अतिरिक्त रुझान रहा। चैधरी चरण सिंह के पिता चैधरी मीर सिंह चाहते थे कि उनका पुत्र शिक्षित होकर देश सेवा का कार्य करे।  मेले में आये किसानो को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि प्रदेश के किसान चरण सिंह को अपना मसीहा मानते हैं। उन्होंने कृषकों के कल्याण के लिए काफी कार्य किए। चैधरी चरण सिंह प्रदेश में भ्रमण करते हुए कृषकों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया। उनकी ईमानदाराना कोशिशों की सदैव सराहना हुई। वह लोगों के लिए एक राजनीतिज्ञ से ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ता थे। उनकी व्यक्तिगत छवि एक ऐसे पुरुष की थी जो सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखता था। इस कारण इनका पहनावा एक किसान की सादगी को प्रतिबिम्बित करता था। एक प्रशासक के तौर पर उन्हें बेहद सिद्धान्तवादी और अनुशासनप्रिय माना जाता था। जिलाधिकारी ने बताया कि चैधरी चरण सिंह एक कुशल लेखक भी थे। उनका अंग्रेजी भाषा पर अच्छा अधिकार था। उन्होंने अबॉलिशन ऑफ जमींदारी, लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप और इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस नामक पुस्तकों का लेखन भी किया। लोक कल्याण के दौरान उम्र भी अपना असर दिखाने लगी थी। अन्ततरू उनकी जीवन यात्रा का रथ 29 मई, 1987 को थम गया। 84 वर्ष से अधिक उम्र पाने वाला वह किसान नेता मृत्यु के आगोश में चला गया। वह कृषकों के सच्चे शुभचिन्तक थे। इतिहास में इनका नाम प्रधानमंत्री से ज्यादा एक किसान नेता के रूप में जाना जाएगा।

किसान मेला में आए हुए किसान भाईयों से जिलाधिकारी उनकी समस्याओं को पूछा तथा निराकरण करने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया। किसान सम्मान दिवस के अवसर पर कृषि विभाग द्वारा रबी/खरीफ फसलों की क्राप कटिंग के परिणाम के अनुसार जनपद स्तर पर 08 किसानो को, ब्लाक स्तर पर 05 किसानो को, उद्यान विभाग द्वारा जिला स्तर पर 08 किसानों को, पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में जनपद स्तर पर 08 किसानों को, ब्लाक स्तर पर 05 किसानों को एवं मतस्य विभाग द्वारा मतत्सय पालन में 13 किसानों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन जिला कृषि अधिकारी आर0पी0 राना ने किया।इस अवसर पर विधायक प्रतिनिधि आशुतोष पाण्डेय,  उप जिलाधिकारी चन्द्र मोहन गर्ग, प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी/जिला विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी, उप निदेशक कृषि जसपाल, सांसद प्रतिनिधि सुनील तिवारी, डिप्टी आरएमआ राजेश कुमार, ए0-आर0 को आपरेटिव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, मतस्य अधिकारी, सिंचाई, भूमि संरक्षण अधिकारी, जनप्रतिनिधिगण सहित किसानो से सम्बन्धित विभागों के अधिकारी एवं किसानों को जनसैलाब उपस्थित रहा।

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