धीरज यादव की रिपोर्ट :
बाराबंकी : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के त्रिवेदीगंज ब्लॉक के दाे दर्जन से अधिक पूर्व माध्यमिक विद्यालय व प्राथमिक विद्यालयों का हाल शाश्वत टाइम्स टीम द्वारा देखा गया। इस दौरान केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार के लाख दावाे की पोल खुलती नजर आई। तमाम विद्यालयों में बने शौचालयों में जहां गंदगी की भरमार थी तो वहीं ऐसे तमाम जर्जर विद्यालयों को भी देखा गया जिनकी छते कमजोर होकर गिरने की कगार पर थी। मगर उसके बावजूद भी महिला शिक्षकों द्वारा बच्चों को चिटकी छतों के नीचे बैठाकर पढ़ाया जा रहा था।
ऐसी हैरान करने वाली तस्वीरे लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के त्रिवेदीगंज ब्लॉक के ठाकुरपुर प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय दयालगंज की है।इसी के साथ ज्ञानमती खेड़ा में शौचालय पूरी तरह धराशाई होकर जर्जर अवस्था में है और विद्यालय में ताला लटकता पाया गया।जब इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बगैर जानकारी के महिला शिक्षक मेडिकल लेकर चली गई थी। इस वजह से विद्यालय में ताला बंद था। इसी के साथ ठाकुरपुर प्राथमिक विद्यालय भवन पूरी तरह जर्जर अवस्था में है। प्राथमिक स्कूल में बने गंदे शौचालय की बहुत बड़ी समस्या है।महिला प्रधानाचार्य अलका सिंह व महिला सहायक अध्यापक वंदना शुक्ला एंव तीन रसाेईया यहां पर तैनात है।आस-पड़ोस के छोटे नन्हे मुन्ने बच्चे पढ़ने आते हैं।
विद्यालय की छत व दीवाले पूरी तरह जर्जर है और किसी भी समय किसी बड़े हादसे का संकेत भी करती नजर आ रही हैं ।इस दहशत भरे माहौल में बच्चों को पढ़ाना इन शिक्षकों के लिए जान जोखिम में डालने के अलावा कुछ नहीं है।जब इन जर्जर विद्यालयों का हाल जानने के लिए हमारी शाश्वत टाइम्स की टीम प्राथमिक विद्यालय ठाकुरपुर पहुंचने पर महिला शिक्षक ने बताया कि अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ा रही है। जर्जर इस विद्यालय भवन के बारे में व्हाट्सएप के जरिए बीआरसी और खंड शिक्षा अधिकारी काे बताया गया मगर जानकर भी अंजान बने हुए हैं। व्हाट्सएप पर समस्या मंगवाकर व्हाट्सएप पर खानापूर्ति करने की बात भी महिला प्रधानाचार्य अंलका सिंह के द्वारा सामने आई।
ऐसे में सवाल उठता है।विद्यालय पूरी तरह जर्जर व्यवस्था में है किसी भी समय विद्यालय की छत गिर सकती है। बने शौचालय पूरी तरह जर्जर होकर गंदगी में तब्दील है।पूर्व माध्यमिक विद्यालय ठाकुरपुर के अध्यापक बताते हैं कि स्कूल में शौचालय बना हुआ है पर शौचालय में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। सफाई करने के लिए कोई सफाईकर्मी भी नहीं आता है,किन्तु हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत है यहां तो बच्चों को शौचालय का इस्तेमाल करना ही नहीं सिखाया जाता।
ग्रामीण क्षेत्रों में बने स्कूलों में यही हाल देखने को मिलता हैै। कि शौचालय तो बन गए है, लेकिन इस्तेमाल करने के लायक नहीं है, क्योंकि कही पर शौचालयों में गंदगी भरी हुई है तो कहीं पर गंदगी न हो इसलिए शौचालयों में ताला पड़ा रहता हैै।केन्द्र सरकार ने 15 अक्टूबर तक भारत को खुले में शौच मुक्त करने का अभियान चला रही है। प्रत्येक स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय का निर्माण कराया गया है जिससे उनकी पढ़ाई में काई परेशानी न आ सके। लेकिन सरकारी स्कूलों के शौचालयों की इस दशा से स्कूली छात्रों को शौचालय जाने में परेशानी हो रही है। जर्जर शौचालय एवं विद्यालय के मामले को लेकर त्रिवेदीगंज खंड शिक्षा अधिकारी गोल मटोल बातें बताकर मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए
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