ज़मीर अंसारी की रिपोर्ट :
सोनभद्र : नगर पंचायत चोपन बैरियर पर चल रहे रासलीला का दसवां दिन सुदामा के चरित्र की लीला का मंचन किया गया भगवान श्रीकृष्ण जब संदीपन मुनी के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए गये तो उनकी मित्रता सुदामा जी से हो गयी। एक बार जब वन में लकड़ी लेने सुदामा के साथ गये थे। तब गुरु माता के द्वारा दिया गये चने को सुदामा खा जाते तो जब संदीपन मुनी को यह बात पता चलता है तो संदीपन मुनी श्राप दे देते हैं । शिक्षा समाप्त हो जाने के बाद सभी अपने राज्य को वापस आ जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण द्वरिका के राजा और सुदामा गरिब ब्राह्मण के रूप में किसी तरह से जीवन कर रहे थे पत्नी के बार बार कहने पर सुदामा जी भगवान श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वरिका जाते हैं। जब द्वरिका पहुंचते हैं। तो द्वारपाल सुदामा को रोक देते हैं। और कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण हमारे मित्र हैं तो द्वारपाल उनकी हसी उडाते हैं। उधर जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण को मित्र सुदामा की आने की सूचना मिलती है। तो भगवान श्रीकृष्ण नग्गे पाव ही अपने मित्र सुदामा से मिलने के लिए जाते हैं तो सुदामा जी के पाव के छाले को देख कर रोने लगते हैं और अपने आंसू से सुदामा जी के चरण धोते हैं। उनको नये वस्त्र पहनकर स्वागत करते हैं।
उसके उपरान्त भागवान श्री कृष्ण सुदामा द्वारा लाये चावल का सेवन करते हैं और सुदामा जी की दरिद्रता को दुर कर देते हैं।इस अवसर पर रामसुंदर निषाद, प्रदीप अग्रवाल, विमल साह, अजय सिंह ,महेंद्र केशरी, सुनील सिंह,विनोद साहनी, संतोष गुप्ता,सहित आदि लोग बाग मौजूद रहें।
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