लोकपति सिंह की रिपोर्ट
शहाबगंज चन्दौली : विनम्रता भगवान को प्रिय है। मानव जीवन का मूल उद्देश्य विनम्र बनकर रहने में ही निहित है। मनुष्य विनम्र बनकर सब कुछ सहज रूप से हासिल कर लेता है। वहीं व्यक्ति के अंदर अपने आपको सबसे बड़ा बनने का भाव आ जाए। तो छोटा सा कार्य भी कठिन हो जाता है। उक्त बातें जय हनुमान श्री राम कथा सेवा समिति द्वारा तियरा गांव के पास महारतपुर हनुमान जी के मंदिर के पास नौ दिवसीय श्री राम कथा के तीसरे निशा पर निजानंद शास्त्री ने श्रोताओं को श्री राम कथा का रसपान कराते हुए कही। उन्होंने कहा कि समुद्र कितना भी बड़ा क्यों न हो मगर वह अपने खारा पानी के स्वभाव से किसी को प्रिय नहीं है। मगर उसी समुद्र का पानी जब बादल बनकर धरती पर टपकता है। तो लोग उसे पाकर धन्य-धन्य हो जाते हैं। कथा कथा के तीसरी निशा पर उन्होंने यह भी कहा कि भक्त के बस में भगवान रहता है भक्ति स्वरूपा मां सीता जी मिथिला में है भगवान भक्ति के बस में हो कर मिथिला में पदार्पण किया और जितने हंकारी अभिमानी राजा थे सारे राजाओं के अभिमान को चूर किया साथ ही साथ अभिमान रूपी धनुष का खंडन किया। जिस धनुष तो बड़े-बड़े राजाओं नहीं तोड़ पाए उस धनुष को भगवान ने छूते ही पल भर में तोड़ दिए
तथा उन्होंने कहा जो परमात्मा से दूर रहता है वह टूट जाता है जो परमात्मा के समीप रहता है वह भगवान से जुड़ जाता है लेकिन जो भक्त रहता है भगवान उसके पास में रहते हैं
दूर-दराज से आए हुए हजारों श्रोता भक्तों ने संगीतमय कथा सुनकर मग्न मुध हो गए।
इस कथा दौरान रमाशंकर पांडे, सुभाष चंद्र मिश्रा, जय प्रकाश पांडे, श्याम नारायण उपाध्याय, महातम पांडे उमाशंकर पाठक, त्रिभुवन, अरविंद मिश्रा, अमितेश, दीपक, महेंद्र मोर्या आदि भक्तगण उपस्थित रहे।