द्वारकेश बर्मन की रिपोर्ट :
मथुरा : तीर्थनगरी के मंदिरों में भले ही होली की मस्ती छाने लगी है। लेकिन आज से तीर्थनगरी में होली महोत्सव का आगाज आध्यात्मिक आयोजन शुरू हुए। आश्रमों में भागवत कथाओं के साथ अनेक रंगारंग आयोजन शुरू हुए दुनियाभर से आने वाले भक्त अब होली तक न केवल रंग बल्कि आध्यात्मिक बरसात में सराबोर हो रहे हैं
बरसाना के वृषभानु भवन से होली का न्योता लेकर राधारानी की सखियां गुरुवार देर शाम नंदगांव पहुंचीं। यहां इनका स्वागत सत्कार किया गया। इसके साथ ही नंदभवन में फाग आमंत्रण महोत्सव की धूम शुरू हो गई है, जबकि की वृंदावन की रंगीली सखी गुरुवार की सुबह होली का न्योता देने के लिए नंदगांव रवाना हुई थीं। यह सखी पांच वर्ष से न्योता देने जा रही है। उससे पहले उनकी गुरु श्यामादासी होली का न्योता देने के लिए जाया करती थीं।
रंगीली सखी अपने साथ एक हांडी में गुलाल, पान बीड़ा, खीरसा, इत्र, फुलेल आदि प्रसाद लेकर पहुंचीं। उन्होंने नंदभवन जाकर माखन चोर कन्हैया को राधा का न्योता दिया कि पूरे ग्वाल बाल मंडली संग बरसाने में होरी खेलने को बुलायौ है। होली का न्योता स्वीकार करने के बाद नंदभवन से एक पंडा कृष्ण का संदेश लेकर बरसाना पहुंचा।
कन्हैया के संदेश को पाकर सखियां पंडे को लड्डू खिलाती हैं। पंडा लड्डू खाकर खुशी से कुछ लड्डुओं को श्रद्धालुओं की ओर लुटाता है। इसी दौरान मंदिर परिसर में लड्डुओं की वर्षा के साथ अबीर-गुलाल की होली शुरू हो जाती है। बरसाना से लठामार होली खेलने के लिए आए निमंत्रण को समाज में सुनाया जाता है। मंदिर के चारों ओर घूम-घूम कर हेला (तेज आवाज) लगाया जाएगा कि ‘वृषभानुपुर से वृषभानु जी कौ होरी कौ बुलाबौ आयौ है’, ‘सबई ग्वाल-बाल होरी खेलवे के तांईं बरसाने आमंत्रित हैं’।
निमंत्रण की सुन सभी ग्वाल मदमस्त हो जाते हैं और नंदभवन में जम कर रसिया होली का आयोजन किया जाता है। इसके बाद बरसाने से आईं सभी सखियों को राजभोग कराया जाता है और ठाकुर जी का भोग प्रसाद भेंट कर सप्रेम विदा किया जाता है। हुरियारे लठामार होली की तैयारियों में जुट जाते हैं। वहीं, बरसाना में लठामार होली पर हुरियारों के स्वागत के लिए कस्बे के हर मोहल्ले से चौपाई निकाली जाती है। होली खेलने आने वाले हुरियारों को सर्वप्रथम प्रिया कुंड पर भांग व ठंडाई देकर उनका स्वागत किया जाता है।
उधर, लठामार होली की द्वितीय चौपाई लड्डू होली के दिन शाम को धूमधाम से निकाली जाएगी। यह चौपाई राधारानी मंदिर से रंगेश्वर महादेव मंदिर तक निकाली जाएगी।
न्यौते की प्रथा में हुआ बदलाव
समय के साथ-साथ लठामार होली से संबंधित प्रथाओं में भी परिवर्तन दिखने लगा है। कई प्रथाएं बदलते परिवेश के साथ-साथ खुद व खुद ही बदलती जा रही हैं। पूर्व प्रवक्ता एवं नंदबाबा मंदिर के सेवायत विजेंद्र गोस्वामी ने बताया कि दशकों पहले बरसाना से होली का निमंत्रण पुरोहित या साधु लेकर आता था।
इस बात का प्रमाण नंदबाबा की वार्षिकोत्सव समाज पुस्तिका में भी आता है। माई बरसाने ते नंदगांव प्रोहित वृषभानु कौ आयौ। नरोत्तम दास जी द्वारा लिखित इस पद में वर्णन आता है कि बरसाने से नंदगांव वृषभान जी का पुरोहित होली का निमंत्रण लेकर आता है।
आपको बता दें कि द्वापर युग में भगवान् राधा कृष्ण द्वारा खेली गयी होली अब अपने पूरे यौवन प़र आ चुकी है और आज बरसना के देश विदेश में प्रशिद्ध राधा रानी मंदिर मैं कृष्ण के नन्द गाँव से भगवान् कृष्ण द्वारा भेजे गये लड्डू गुलाल और लड्डुओं से होती है।
राधा रानी जी के मंदिर में होली जिसमें देश और विदेश भर से आने वाले हजारों लाखों श्रद्धालु और ब्रज वासी राधारानी के साथ इस होली का आनंद बड़े ही श्रधा भाव से उठाते है। वहीं मंदिर में होने वाले होली के गीतों प़र जमकर नाचते गाते है ।
बरसाने कि लाडली और भगवान कृष्ण कि पटरानी के मंदिर में सब इस अलोकिक होली को खेलते है और फिर जमकर सभी प़र होती है लड्डुओं कि बरसात और मंदिर में मौजूद लाखों भक्त इन लड्डुओं को लूट कर राधा जी के प्रशाद के रूप में अपने घर लेजाते है क्यूँ कि यहाँ प़र साक्षात् भगवान राधा कृष्ण कि जुगल जोड़ी जो होली मानती है।
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