Nirbhaya Case : क्या है दोषियों को फांसी पर लटकाने की क़ानूनी कार्रवाई ?

Nirbhaya Case : क्या है दोषियों को फांसी पर लटकाने की क़ानूनी कार्रवाई

नई दिल्ली : साल 2012 में देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिल को झकझोर देने वाले हुए निर्भया कांड (Nirbhaya Case) में अंतिम फैसले का काउंटडाउन शुरू हो गया है। जी हाँ, निर्भया कांड में शामिल आरोपियों के फांसी पर लटकने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। हालांकि अभी राष्ट्रपति (President of India) ने दोषियों की दया याचिका खारिज नहीं की है, इसीलिए तारीख को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि राष्ट्रपति जल्द ही दया याचिका को खारिज करेंगे, जिसके बाद दोषियों को फांसी पर लटकाने की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। फांसी पर लटकाने से पहले किस तरह की कानूनी कार्रवाई होती है ? और दोषियों को क्या-क्या अधिकार मिलते हैं ? आइए जानते हैं :

Nirbhaya Case : इंसाफ के लिए 7 साल का लंबा इंतज़ार क्यों ?

दरअसल देश का एक बड़ा वर्ग कोर्ट (Court) की कानूनी कार्रवाई पर सवाल खड़े करता रहा है और आरोप लगाता रहा है कि इस तरह के जघन्य मामलों में भी अदालत दोषियों को सजा देने में काफी वक्त लगा देती है। इस मामले में भी 7 साल का लंबा समय गुजर चुका है, जिसके बाद अब सबको आखिरी फैसले का इंतजार है। हालांकि देखा जाए तो किसी भी दोषी को फांसी की सजा देने से पहले पूरी तरह से कानूनी कार्रवाई इसलिए पूरी की जाती है क्योंकि फांसी की सजा के बाद आरोपियों को वापस जिंदगी देना किसी के भी बस की बात नहीं होती। ऐसे में कोर्ट इस बात का ध्यान रखता है कि किसी भी हाल में निर्दोष को दोषी सिद्ध ना किया जाए और यही कारण है कि इस तरह के मामलों में लंबी कानूनी कार्यवाही होती है।

Nirbhaya Case : अब बस राष्ट्रपति के फैसले का इंतज़ार 

बहरहाल इस मामले में तमाम तरह की कानूनी कार्रवाई पूरी हो चुकी है और अब अंतिम फैसले की बारी है। बता दें कि सेशन कोर्ट से दोषी सिद्ध होने और मौत की सजा पाने के बाद दोषियों के पास पहले हाईकोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार होता है। दोषियों ने सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसे हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने दोषियों की याचिका खारिज कर इसे दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजा था, जिसके बादउपराज्यपाल ने भी याचिका को खारिज कर गृह मंत्रालय के पास भेज दिया। गृह मंत्रालय द्वारा इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया, जिस पर फैसला आना बाकी है।

फांसी को लेकर क्या कहते हैं कानून के जानकार ?

कानून के जानकारों की मानें तो इस केस में चार दोषियों ने अलग-अलग याचिका दाखिल की और कोर्ट को अलग-अलग बार याचिकाओं को खारिज करनी पड़ी, जिसकी वजह से और भी ज्यादा वक्त लग गया। भारतीय कानून के अनुसार सारे विकल्प खत्म होने के बाद तिहाड़ प्रशासन दोषियों को फांसी से पहले राष्ट्रपति के सामने क्षमा याचिका लिखने के लिए समय देता है। ये समय 7 दिनों का होता है। इस केस में भी दोषियों को क्षमा याचिका लिखने के लिए 7 दिनों का समय दिया गया था, लेकिन चार दोषियों में से सिर्फ एक दोषी विनय शर्मा ने क्षमा याचिका दायर की थी, जिसे राष्ट्रपति पहले ही खारिज कर चुके हैं।

राष्ट्रपति द्वारा क्षमा याचिका खारिज होने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन कोर्ट का रुख करेगा, जहां से कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी किया जाएगा। डेथ वारंट जारी होने के साथ ही इस बात का खुलासा हो पाएगा कि दोषियों को कब फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। डेथ वारंट जारी होने से फांसी होने तक के बीच कम से कम 15 दिनों का समय होता है। इन 15 दिनों में जेल प्रशासन द्वारा दोषियों की हरे एक गतिविधि पर करीब से नजर रखी जाती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में दोषी खुद को नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करते हैं। ऐसे में जेल प्रशासन इस बात का ध्यान रखता है कि दोषी किसी भी हाल में फांसी से पहले खुद को नुकसान ना पहुंचाएं।

फांसी से पहले की प्रक्रिया

सुबह के समय ही दोषियों को फांसी पर लटकाया जाता है। साथ ही फांसी रूम में ले जाते वक्त काला कपडा पहनाया जाता है और चेहरे पर काला थैला भी लटकाया जाता है। पैरों में रस्सी बांधी जाती है और हाथ में हथकड़ी लगा दी जाती है। फांसी के वक्त मौके पर एसडीएम सुपरिडेंटेंट और जल्लाद ही होते हैं, जहां एसडीएम द्वारा दोषियों से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है। इसके बाद सुपरिटेंडेंट के इशारे पर जल्लाद लिवर खींचता है और दोषी फांसी के फंदे पर लटक जाता है। शव को 2 घंटे तक फांसी के फंदे से ही लटकता छोड़ दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टरों द्वारा चेक कर मृत घोषित किया जाता है। इसके बाद शव को परिवार के सुपुर्द कर दिया जाता है। अगर परिवार शव लेने से इंकार कर देता है, तो जेल प्रशासन ही मृतक के अंतिम संस्कार का इंतजाम करता है।

Kanhaiya Krishna

Share
Published by
Kanhaiya Krishna

Recent Posts

Delhi Lok Sabha Election: कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज ने भरा नामांकन, रैली में इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ता शामिल

कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज ने भरा नामांकन, रैली में इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ता शामिल रिपोर्ट:…

4 days ago

test

test test

5 days ago

test

test test

6 days ago

PeachSkinSheets® Características Parejas Transpirables, Deluxe Sábanas en Asequible Costos

El breve Versión: entre los formas más efectivas de impulsar descansar es por crear tu…

1 month ago

19 más fácilmente útil Desliza Aplicaciones para Citas (100 % liberado para intento)

Algunos ocasiones trascendentes han hecho antecedentes y moldearon los destinos de generaciones por venir. La…

1 month ago

Estafa : MatureContactService.com Desires Estados Unidos Pensar 161 pumas enviados por correo electrónico Estados Unidos , Es ¡Una mentira !

Sitio web Detalles: Cost: 8 crédito tienintercambio de parejas liberalesn a ser 13,92 AUD. 25…

1 month ago