लखनऊ : योगी सरकार के गठन के बाद एक के बाद एक जिस तरीके से बड़े फैसले लिए गए और भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने के लिए सरकार की तरफ से एक के बाद एक दिशा निर्देश जारी किए गए उसे देखकर लगा कि यूपी की योगी सरकार सचमुच जनता के हितों के प्रति गंभीर है और सीएम योगी के कार्यकाल में यूपी तरक्की की नई इबारत लिखेगा, लेकिन अफसोस कि योगी सरकार भी अन्य सरकारों की राह चल पड़ी है और अब भ्रष्टाचारियों को सरकारी संरक्षण दिया जा रहा है। चलिए बताते हैं कि पूरा माज़रा क्या है।
दरअसल ताजा मामला यूपी के नगर विकास राज्यमंत्री गिरीश यादव से जुड़ा है। उन्होंने तीन सौ करोड़ के मनरेगा घोटाले से जुड़े एक अफसर को ही अपने जिले में तैनाती करा दी। यह अफसर मंत्री का रिश्तेदार है। ऐसे में रिश्तेदारी के एवज में राजनीतिक शुचिता को ताक पर रखने से योगी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अखिलेश सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कटघरे में खड़ाकर आई भाजपा सरकार भी उसी ढर्रे पर चल रही है। ऐसे में अंतर क्या रह जाएगा।
नगर विकास राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव ने कहा कि मैं जनप्रतिनिधि हूं। मेरे पास कोई आएगा तो उसकी मदद के लिए मैं सिफारिशी पत्र ही लिखूंगा। कौन क्या है, ऐसा किसी के चेहरे से तो पता नहीं चलता। किसी की पीठ या चेहरे पर तो उसका इतिहास लिखा नहीं होता। राजेश यादव के लिए भी चिट्ठी लिखी होगी।
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