नई दिल्ली : महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार गठन को लेकर जारी रस्साकशी पर आखिरकार बीजेपी (BJP) ने विराम लगा दिया है। शनिवार सुबह जैसे ही देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने सीएम ( Chief Minister) पद की शपथ ली, तो हर कोई हैरान रह गया। बता दें कि अभी बीते दिनों बीजेपी ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से मिलकर सरकार गठन से मना कर दिया था और कहा था कि उनके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है। उसके बाद से शिवसेना (Shivsena), कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) एक साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी थी। कल शरद पवार (Sharad Pawar) ने ये भी कह दिया था कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ही मुख्यमंत्री होंगे। आज इस मामले को लेकर तीनों दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी थी और बड़ा ऐलान भी होना था, लेकिन उससे पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ लेकर सबको हैरान कर दिया है।
वहीं महाराष्ट्र में दोबारा देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनते ही में जारी मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। अजित पवार (Ajit Pawar) डिप्टी सीएम बने हैं। उन्होंने एनसीपी विधायकों के समर्थन वाला पत्र राज्यपाल को सौंपा है, जिसको लेकर शरद पवार का कहना है कि बीजेपी को अजित पवार का समर्थन मिला है ना कि एनसीपी का। वही शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अजीत पवार के इस कदम पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा है कि परिवार और पार्टी टूट गया है।
महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनाने से सबसे बड़ा झटका है शिवसेना को लगा है, जिसके सारे अरमानों पर रातों-रात पानी फिर गया। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और दोनों पार्टियों को जनता ने स्पष्ट जनादेश भी दिया था बावजूद इसके शिवसेना ने सीएम पद की मांग को लेकर बीजेपी का साथ छोड़ दिया और इसके बाद कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद में जुटी थी। इस पूरे घटनाक्रम में नितिन गडकरी की कुछ दिनों पहले कहीं वह बातें सही साबित होती है जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनीति में कुछ भी संभव है और जिस पल किसी को लगता है कि हम हार रहे हैं ठीक उसी पल हमारी जीत भी हो सकती है ।
बहरहाल आज कांग्रेस और एनसीपी व शिवसेना की एक बार फिर से बैठक होने जा रही है, जिसमें शरद पवार अजित पवार के रुख को लेकर कोई बड़ा बयान दे सकते हैं। माना जा रहा है कि शरद पवार अपने भतीजे अजीत पवार को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा सकते हैं। महाराष्ट्र का पेंच अभी भी नहीं सुलझा है, क्योंकि बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 17 और विधायकों की अभी जरूरत है।ऐसे में देखना यह होगा कि बीजेपी अजीत पवार के साथ मिलकर एनसीपी के और विधायकों अपने साथ ला सकती है या नहीं। बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर बीजेपी की सधी हुई राजनीति को साबित कर दिखाया है।
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