नई दिल्ली : मध्य प्रदेश की राजनीति (Madhya Pradesh Politics) में इन दिनों नया ड्रामा देखने को मिल रहा है। यहां कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच शह और मात का खेल लगातार जारी है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी राज्य की कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है और विधायकों के ऊपर डोरे डाल रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व में आपसी फूट ही कमलनाथ सरकार के अस्थिर होने का मुख्य कारण है। बहरहाल किसके आरोपों में कितना दम है यह तो अब तक साफ नहीं हो पाया है लेकिन विधायकों की लामबंदी लगातार जारी है।
बीजेपी के द्वारा कांग्रेस नेतृत्व पर उठाए जा रहे हैं सवाल काफी हद तक सही भी है, क्योंकि मध्य प्रदेश कांग्रेस (MP Congress) कई खेमों में बटा हुआ है। मध्य प्रदेश की राजनीति में अपना अलग वर्चस्व रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बीते कुछ बयानों पर अगर गौर फरमाएं तो यह साफ होता है कि वह राज्य की कमलनाथ सरकार से खफा चल रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कमलनाथ सरकार से खफा चलने के जायज़ कारन भी है और वह कारण है सिंधिया का अपना राजनीतिक अस्तित्व। मध्य-प्रदेश में चुनाव (MP Election 2018) के बाद सिंधिया को न तो मुख्यमंत्री (Chief Minister Madhya Pradesh) की कुर्सी मिली, न ही प्रदेश कांग्रेस (MP Congress President) की कमान। वहीँ मध्य प्रदेश की गुना सीट (Guna Lok Sabha constituency) से संसद का प्रतिनिधित्व करने वाले सिंधिया 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) में भी हार गए जिसके बाद अब सिंधिया का राजनीतिक अस्तित्व संकट में है।
सिंधिया को राज्यसभा के लिए होने वाले चुनाव (Rajyasabha Election 2020) से आस थी और उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद बनाया जाएगा, लेकिन राजनीतिक गलियों में जिस तरह से प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का नाम उछाला जा रहा है उससे सिंधिया की ये उम्मीद भी धूमिल होती नजर आ रही है। बता दें कि मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीट खाली हो रही है, जिसमें से दो राज्य सभा सीट पर कांग्रेस की जीत पक्की नजर आ रही है, वहीं एक राज्य सभा सीट बीजेपी के खाते में जाना तय हैं। कांग्रेस के खाते में जाने वाली दो राज्यसभा सीटों में से एक राज्यसभा सीट के लिए दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) प्रबल दावेदार है, वहीं दूसरी राज्यसभा सीट के लिए सिंधिया खुद को दावेदार मान रहे थे लेकिन दिग्विजय और कमलनाथ (Kamal Nath) का खेमा लगातार प्रियंका गांधी का नाम उछाल रहे है, जिससे सिंधिया को राज्यसभा में जाने की उम्मीद भी धुंधली होती नजर आ रही है।
बता दें कि मध्यप्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ था। राज्य की सत्ता में 15 सालों से काबिज रही बीजेपी को 109 सीटें हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस को 114 सीटें हासिल हुई थी। 230 विधानसभा सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly) में सरकार बनाने के लिए कुल 116 विधायकों की जरूरत होती है। मध्य प्रदेश में बसपा (Bahujan Samaj Party) और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कमलनाथ सरकार चल रही है। ऐसी बात भी नहीं है कि मध्य प्रदेश भाजपा (Madhya Pradesh BJP) कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने की कोशिश ना कर रही हो।
दरअसल बीजेपी की कोशिश है कि कांग्रेस के कुछ विधायकों और निर्दलीय विधायकों को अपने साथ लाकर राज्य की सत्ता में एक बार फिर से काबिज़ हुआ जाए, लेकिन प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह खुद सारा कमान संभाल रहे और इन दिनों मध्य प्रदेश कांग्रेस (Madhya Pradesh Congress) के लिए संकटमोचक बने नजर आ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह सारा खेल राज्यसभा चुनाव के लिए चल रहा है। कांग्रेस की कोशिश है कि तीसरे राज्यसभा सीट पर भी किसी तरीके से जीत दर्ज किया जाए ,बहरहाल देखना यह है कि इस शह और मात के खेल में जीत किसकी होती है।
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