उमेश शर्मा की रिपोर्ट :
अमेठी : स्टाम्प एवं निबंधन विभाग ने अमेठी के साथ सौतेला व्यवहार उजागिर किया। तीन महीने से स्टाम्प की कमी से किसान के साथ आम आदमी भी जूझ रहा है। और दर दाम से नब्बे गुना दर पर स्टाम्प खरीदनें को मजबूर हुए। शिकायत पर अधिकारी यही रट लगाये रखे कि सूचना भेजा गयी है शासन से नही मिल पा रहा है।अमेठी के नाम पर शासन में कोई बात सुनने को तैयार नही। तो इसके लिए अधिकारी कर्मचारी क्या करे।
अमेठी जिलें में दस रूपये, बीस रूपये, पचास रूपयें, सौ रूपये के स्टाम्प की कमी तीन माह से चल रही है। दस रूपये का स्टाम्प सीटू मैनेजमेंट में हलफनामा देने के लिए किसानों ने एक सौ बीस रूपये में स्टाम्प मुह मांगे दाम पर खरीदे और हलफनाम बनवाकर दाखिल किया। किसान से जब सवाल किया गया। तो बताया कि जैसे-तैसे काम बन जाय। हाहल्ला करेगे। तो बना काम बिगड जायेगा।
किसान रमेश कुमार, अशोक कुमार, राम पियारें, हौसिला प्रसाद, राधेश्याम, उदयराज, राजमणि, राजेन्द्र प्रसाद, रामरतन, आदि ने बताया कि स्टाम्प केलिए अमेठी तहसील में तथा निबंधन कार्यालय में मारा-मारी चल रही है। स्टाम्प तो दर दाम पर मिलना मुश्किल भरी बात है। और स्टाम्प के लिए मुहमागां पैसा देना पड रहा है। जैसे-तैसे स्टाम्प मिल रहा है। स्टाम्प विक्रेता अपने घरो से सुविधा मुहैया करवाते है पैसा लेने के बाद अपने अभिलेख पर हस्ताक्षर भी नही करवाते ।
स्टाम्प की कमी पर अमेठी तहसील के अधिवक्ता सदाशिव पांडेय ने भी बात को सही ठहराया। अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने कहा कि अमेठी जिले की उपेक्षा हो रही है और सुविधाओं से नहरूम किया जा रहा है। प्रदेश सरकार जनता की आवाज दबाना चाह रही है।
अपरजिलाधिकारी ने बताया कि शिकायत में सज्ञान में नही है और अब तक शिकायत भी नही मिली। मामले की पडताल करता हॅू और स्टाम्प की कमी जिले में नही होगी। इसकें लिए प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है।
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