– डा० गणेश पाठक
गत दो दिनों से न केवल सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश धूल भरी आंधी, लू एवं उच्त ताप के आगोश में है, जिसके चलते पुरे आकाश में धुन्ध जैसा आवरण बना हुआ है। प्रश्न यह उठता है कि आखिर यह स्थिति क्यों बनी। अभी दो दिनों पूर्व तक जोर शोर से पूर्वी हवा प्रवाहित हो रही थी। अचानक दो दिनों से परिवर्तन आ गया। यह तेज गति से प्रवाहित शुष्क पछुवा हवा का ही परिणाम है।
वैसे तो पूरे उत्तरी भारत में पछुवा हवा के तीव्र प्रवाह से लू का प्रकोप जून माह में प्रायः जारी रहता है। किन्तु इस साल यह देर से आया, जिसका मुख्य कारण पूर्वी हवा का प्रवाह निरन्तर जारी रहना था, किन्तु जब पछुवा प्रवाह ने जोर पकड़ा तो पश्चिमी मरूस्थलीय क्षेत्रों से होकर आने वाली पश्चिमी वायु के साथ धूल एवं रेत के कण भी साथ में आए जो पूरे उत्तर भारत में छा गये और वायुमण्डल में पहुंचकर एक आवरण बना डाले । इस आवरण को घना करने का एक मुख्य कारण यह भी रहा कि पूर्वी हवा के प्रवाह के समय जो बादलों का आवरण था वह भी पछुवा हवा के कारण आगे न बढ़कर स्थिर हो गया । इस तरह धूल कण, रेत , बादलों का हल्का आवरण एवं वाहनों से निकला धुंआ वायुमण्डल में चहुंचकर एक धुन्ध जैसा आवरण बना लिया ,जिसके चलते तापमान में भी वृद्धि हुई। बलिया सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूल भरी आंधी भी आ सकती है।
नोट- यह विवरण एक भूगोल के अध्येता द्वारा मौसमी तत्वों के आंकलन एवं विश्लेषण पर आधारित है।