सैदपुर के एसडीएम सत्यम मिश्रा को हटाने के लिए अधिवक्ताओं ने खोला मोर्चा

 

 

रविन्द्रनाथ सिंह की रिपोर्ट

सैदपुर गाजीपुर कहने को तो गाजीपुर जनपद में एक से एक अच्छे अधिकारी आते हैं जिनकी लोग आज भी मिसाल दिया करते हैं इस समय गाजीपुर जिले के डीएम वाराणसी के डीएम कमिश्नर सभी जनता के सुख दुख में शामिल होकर हर समस्या का निराकरण कर देते हैं,कुछ ऐसे ऐसे अधिकारी भी हैं जो खुद रास्ते में घायल किसी व्यक्ति को अपनी निजी गाड़ी में हास्पिटल पहुंचाते हैं और खुद टेंपू पकड़ कर अपने कार्यालय चले जाते हैं लेकिन इस समय गाजीपुर जिले के एसडीएम सत्यम मिश्रा की  कार्यशैली को लेकर सैदपुर की जनता  दुखी व परेशान है।

वही अब वकील भी इनसे त्रस्त हो चुके हैं जिसका जीता जागता प्रमाण आज सैदपुर तहसील में देखने को मिला ।

 

सैदपुर के वकील इन दिनों  एस.डी.एम. सत्यम मिश्रा को हटाने के लिए लामबंद हैं।

 

बताया जाता है कि सैदपुर तहसील में जब से एसडीएम सत्यम मिश्रा आए हुए हैं। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर बढ़ गया है। यहां तक की मामूली धारा शांति भंग की 107 /116 के अंतर्गत आए अभियुक्तों को एस.डी.एम. द्वारा मारना-पीटना  अधिवक्ताओं को उल्टा-सीधा कहना जिससे आजिज  अधिवक्ता समाज ने एसडीएम सत्यम मिश्रा के खिलाफ  मोर्चा खोल दिया है।

 

दी बार एसोसिएशन सैदपुर के अध्यक्ष रमेश सिंह एडवोकेट ने बताया कि उप जिलाधिकारी सैदपुर द्वारा दरवाजा बंद करके सुनवाई की जाती है। एवं वादकारियों को मारा-पीटा भी जाता है तथा तहसील में भ्रष्टाचार चरम पर है। राजस्व निरीक्षक बिना पैसा लिए कोई भी पैमाइश नहीं करते। जिसके बारे में अधिवक्ताओं द्वारा इस कुकृत्य के विरुद्ध जिलाधिकारी  को सूचित किया गया है ।इसके बाद एक पत्र बनाकर जांच करने हेतु मुख्यमंत्री एवं राजस्व परिषद को भेजा गया है। अधिवक्ताओं ने एक स्वर में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि जब तक  उप जिला कारी सत्यम मिश्रा का ट्रांसफर नहीं हो जाता है ।एवं उक्त बिंदुओं का समाधान नहीं हो जाता है ,तब तक उपजिलाधिकारी न्यायालय सैदपुर का बहिष्कार जारी रहेगा।

 

बताते चलें कि पिछले दिनों मीडिया ने एसडीएम से सवाल पूछा था की सैदपुर तहसील अंतर्गत भूमाफियाओं से कितनी जमीन खाली कराई गई ।जिसका उत्तर एसडीएम सत्यम मिश्रा नहीं दे सके ।गोल मटोल उत्तर देकर घुमा दिया। सैदपुर तहसील के अंतर्गत सरकारी राशन कोटे के दुकानदारों द्वारा आए दिन ग्रामीणों से खाद्यान्न वितरण को लेकर मनमानी की जाती है। एवं तेल वितरण में तेल का कनस्तर फेंक दिया जाता है, ग्रामीणों से मारपीट भी की जाती है। जिसकी शिकायत होने पर एसडीएम मिश्रा कभी नहीं सुनते हैं ,ना ही उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही करते हैं।

 

भ्रष्टाचार का आलम यह है कि आज दिनांक 2 जून 2018 ईस्वी को तहसील की कोई भी न्यायिक कक्षाएं 10:00 बज कर 40 मिनट तक नहीं खुलली थी। सूचना की खबर जब डीएम के यहा पहुंची तो डीएम  ने जानना चाहा। भागे-भागे वर्तमान तहसीलदार दिनेश आए और गोल-मटोल उत्तर देने लगे न्यायालय तहसील का ताला खुला हुआ था। इन पर अंकुश लगाने के लिए सीधे-सीधे अधिवक्ताओं ने इनके सम्पत्ति की जांच, इनके  निकटतम संबंधियों के सम्पत्ति की जांच  ईडी तक से कराने के लिए पत्र भेजा है।

 

सूत्रों द्वारा यह भी बताया गया ् एसडीएम की पहुंच सत्ताधारी नेताओं से है ।जिनके बल पर यह किसी वादकारी को यहां तक की अधिवक्ताओ को भी बख्शने के मूड में नहीं रहते हैं। इनके रिज्यूम में भ्रष्टाचार चरम पर है जिसकी जांच होनी ही चाहिए ,और इस एस.डी.एम.सत्यम को हटाने की मुहिम अधिवक्ताओं ने छेड़ रखी है। इसी बीच वकीलों का उग्र प्रदर्शन और नारेबाजी को देखकर वहीं से गुजर रहे रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा भी रुक गये,जिस पर अधिवक्ताओ ने सत्यम मिश्रा की जोरदार शिकायत की और  अपना  दुखड़ा उन्हें सुनाया।

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