दिल्ली ( लोधी रोड ) काम की जगह पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न ,लिंगिनग आधारित भेद भाव को मिटाने के लिए पत्रकारों और लेखको की भूमिका को ले कर दिल्ली के इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में चरखा डेवलोपमेन्ट कमिनिकेशन नेटवर्क और पार्टनर्स ला ऑफ डेवलपमेंट के द्वारा 2 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के दूसरे दिन द वायर की प्रमुख पामेला फिलोपोस, वरिष्ठ पत्रकार अनु आनंद,राजीव लक्ष्मी फ्रंट लाइन की डिप्टी एडिटर, चरखा के सीईओ मारियो नरोना charkha फीचर सर्विस के एडिटर अनीसुर्रहमान क़ासमी ने भी सेक्सुअल हरासमेंट वर्क पैलेस विषय पर प्रकाश डाला । दिल्ली उच्य न्यायालय की मशहूर अधिवक्ता रचना मेहरा ने सेक्सुअल हरासमेंट क्या है और इस कानून की आवश्यकता कियु पड़ी। सोशल वर्कर भंवरी के साथ दबंगो दुआरा यौन शोषण जैसी बड़ी घटना के बारे में भी बतया रचना मेहरा ने ये भी बताया कि कौन कौन सी काम की जगह पर एक्ट 2013 में शामिल किया गया है ।इस एक्ट में क्या क्या प्रावधान किया गया है ।आयोजित वर्क शाप में देश के अलग अलग राज्यो से प्रमुख लेखको व पत्रकारों में एक्स डिप्टी एडिटर मोहम्मद मुर्तज़ा बशारत हुसैन निज़ाम मीर जम्मू पूंछ, सुनील अमर आयोध्या उत्तर प्रदेश, अरशद रज़ा जे के न्यूज़ चैनल कैमूर बिहार ,कनीज़ फातिमा पटना यूनिवर्सिटी, ग़ज़ाला उर्फी ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी अप्पन समाचार मुजफरपुर , समेत कई लोगो ने अपने अपने विचार रखे। कार्यशाला के अंत मे सभी लेखको व पत्रकारों को sirtificate दे कर सम्मानित किया गया। और अंत मे सभी लेखको और पत्रकारों से भी अपील की गई कि अपने लेखन में शब्दों के चयन में शालीनता लाए और महिलाओं के प्रति बढ़ती आपराधिक घटनाओ को गंभीरता पूर्वक ले।
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