व्यूरो रिपोर्ट-दीपनारायण यादव
चकिया चन्दौली स्थानीय क्षेत्र के दूबेपुर गांव में आखर साहित्य के संयोजकत्व में सोमवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन “काव्य किलकारी”का आयोजन बडे ही उल्लास पूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ।आखर साहित्य के अध्यक्ष कृष्णा नन्द द्विवेदी “गुलाब”जी के पौत्री के मूल शान्ति के उपलक्ष्य में आयोजित यह कवि सम्मेलन पूरी रात साहित्य के उचाईयों को छूता रहा।कवि सम्मेलन की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के बाद शुरु हुआ,मंच पर कवियों के आते ही आयोजक मंडल ने समस्त कवियों का स्वागत माल्यार्पण व अंगवस्त्र दे कर किया,कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाँ०हौशिला प्रसाद द्विवेदी रहे।तत्पश्चात कवि सम्मेलन की शुरुआत विभा सिंह द्वारा सरस्वती वन्दना वीणा वाली जननी भवानी मां द्वार तेरे बेटी आयी है सुना कर किया।कवि सम्मेलन के अगले क्रम में नर्सिंग”साहसी”ने कहा देश अपना है इसे लूट करके खा जाओ,जौनपुर से आये हरदिल अजीज कवि ओम प्रकाश यादव ने सुनाया सूरुज चांद रहे जब तक लहरात रहे गंगा में पानी,धर्मदेव “चंचल”ने कहा वीरों ने वीरता की कहानी लिखी,देके अपनी जवानी रवानी लिखी,नन्द कुमार झा ने अपनी रचना को पढ़ा नाम के ही अनुरुप है तू,प्रेम की मूर्ति बनी लगती है,मनोज कुमार द्विवेदी “मधुर”ने काश हर खास आम हो जाता,मुफलिसों का भी काम हो जाता,होती मां -बाप की जहां सेवा घर वही चारो धाम हो जाता सुना कर अपनी दिवंगत मां को समर्पित कर मंच के महौल को थोडी देर के लिए गमगीन कर दिया,नागेश शांडिल्य ने अपने क्रम में सुनाया देखा हर कोई-कोई अपना सपना पाल रखा है,सरस्वती वन्दना के बाद मंच पर आयी विभा सिंह ने अपनी रचना जब हृदय से कोई प्रार्थना हो गयी,पूर्ण जीवन सब साधना हो गयी सुना कर लोगो के दिलो को जीत लिया,मिथिलेश “गहमरी”ने कहा कि कब तक होली ईद मनेगी संगीनों के साये में,कब तक जीवन यापन होगा गमगीनों के साये में सुना कर कौमी एकता पर प्रकाश डाला,आकाशवाणी वाराणसी के बडे चेहरे के रुप में ख्याति प्राप्त लालजी यादव “झगडू भईया”ने कहा कि जे जहां में मिलल दिल जलावत मिलल,पहली बार मंच से कविता पाठ के लिए बुलाई गयी गरिमा मिश्रा ने सुनाया बिटियां क जीवन सुख में बिताया हे लोगन विनय ह हमार,सुरेन्द्र नाथ मिश्र “अंकुर”चोट खाता रहा मुस्कुराता रहा,गीत गा गा कर सबको रिझाता रहा,स्वतंत्र कुमार श्रीवास्तव”नवल” ने सुनाया ये पिया सीमवां पर जहिया जइहा हमके लिअवले जइहा,संगवा चलव जइसे सारथी, कमलेश्वर”कमल”जान देते है जो निज वतन के लिए वो अमर होते है बाकपन के लिए,राष्ट्र कवि कमलेश “राजहंस”ने अपनी रचना में राष्ट्रीय समस्या को छूते हुए कहा कि जो राष्ट्र वृक्ष के शाखाओं को काटे उनको माफ करु?कृष्णा नन्द द्विवेदी “गुलाब” जी ने विशेष आग्रह पर सुनाया कि झुनुन झुनुन बाजय सिवान, झूमी झूमी बगिया में नाचय बिहान,हौसला द्विवेदी ने सुनाया मंच पर शोभे वीणा पाणी के सपूत सभी,स्वातम्बरी हंस वाहिनी का मृदु हास है,कार्यक्रम के अंत में मंच के अध्यक्ष शारदा प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि मोरी केशरिया रंग चुनरिया तू रंग दे रे रंगरेजवा सुना कर मंच को विराम दिया,कवि मंच की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शारदा प्रसाद द्विवेदी तथा संचालन राष्ट्र कवि कमलेश राजहंस ने किया वही कविता मंच का समापन आखर साहित्य के कार्यकारी अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार श्रीवास्तव नवल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।इस दौरान आखर साहित्य के संतोष सिंह,दीपनारायण यादव,राकेश सैनी,सर्वेश्वरी द्विवेदी,प्रमथ नाथ द्विवेदी,विजया नन्द द्विवेदी,अनिल द्विवेदी,रविन्द्र नाथ पाण्डेय,असलम बाबा,ईश्वर शरण द्विवेदी,ज्योति द्विवेदी,अशोक द्विवेदी,अनुज द्विवेदी,मनीष,रामचन्द्र प्रसाद,शीतला राय,के०सी०श्रीवास्तव,आशुतोष मिश्रा,विजय विश्वकर्मा,विकेश कुमार,ज्ञान प्रकाश,अरुण त्रिपाठी,राम बालक यादव,पवन सोनकर,मुन्ना सोनकर,कैलाश चौरसिया,कमला खरवार,आलोक जायसवाल,संजय मिश्रा,राम दुलारे गोड़,श्यामधर बैद्य,जग्गू पाण्डेय सहित बहुत से लोग मौजूद रहे।