बेंगलुरु : कर्नाटक की राजनीति में एक ट्वीस्ट खत्म नहीं होता, कि दूसरा शुरू हो जाता है। जी हाँ, पिछले दिनों कर्नाटक में हुए राजनीतिक नाटक पर देश भर की निगाहें टिकी हुई थी। कर्नाटक में 14 महीने पुराने कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार विश्वास मत हासिल कर पाने में नाकाम रही और शुक्रवार को आख़िरकार राज्य में बीजेपी की सरकार बन गयी। कांग्रेस और जेडीएस द्वारा बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप भी लगाये गए और सरकार को गिराने की साजिश रचे जाने का आरोप भी लगा। आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब खबर है कि जेडीएस, बीजेपी सरकार को बाहर से समर्थन देगी।
दरअसल कल बीएस येदियुरुप्पा ने एक बार फिर कर्नाटक के सीएम पद की कमान संभाल ली। मंत्रालयों का बंटवारा विधानसभा में विश्वास मत परिक्षण के बाद होगा। येदियुरप्पा को 29 जुलाई को फ्लोर टेस्ट पास करना होगा। इससे पहले खबर है कि जेडीएस विधायकों ने कुमारस्वामी से बीजेपी सरकार को बाहर से समर्थन दिए जाने की अपील की है। हालाँकि इस मामले में अंतिम फैसला कुमारस्वामी को ही लेना है।
225 विधानसभा सदस्यीय कर्नाटक में, तीन विधायकों को योग्य घोषित किये जाने के बाद सदन की संख्या 222 है। ऐसे में सरकार गठन के लिए 112 सदस्यों का साथ जरुरी है। बीजेपी के पास 105 विधायक ही हैं, ऐसे में पार्टी को 7 और विधायकों के समर्थन की जरुरत होगी। जादुई आंकड़े के लिए बीजेपी की नज़र निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बागी विधायकों पर भी टिकी हुई है। बागी विधायकों का साथ न मिल पाने की स्थिति बीजेपी, जेडीएस के साथ भी आ सकती है। ऐसे में देखना ये होगा कि कांग्रेस किस तरह से राज्य के नए राजनीतिक समीकरण में खुद को फिट करती है।
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