स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 15 अगस्त 2020, रविवार को काव्य कार्नर के द्वारा अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. चेतन आनंद गाज़ियाबाद से, ओज के राष्ट्रीय कवि श्री मनोज चौहान मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) से, राष्ट्रीय कवि श्री कुमार आदित्य ग्रेटर नोएडा से, डॉ. ज्योति राहुल उपाध्याय गाज़ियाबाद से, श्री श्याम निर्मोही बीकानेर (राजस्थान) से एवं श्री अंकुर सक्सेना दिल्ली से काव्य पाठ के लिए डिजिटल माध्यम से जुड़े।
सभी ने अपनी सुंदर व उत्कृष्ट रचनाओं से “जश्न-ए-आज़ादी” की इस महफ़िल में चार चांद लगाए।
इस गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डॉ. चेतन आनंद ने, न सिर्फ काव्य संस्कारों की बात की बल्कि अपनी इन पंक्तियों से सभी में ऊर्जा का संचार किया।
“दुश्मन जितना ज़ोर लगाले, बेमतलब के प्रश्न उछाले
भारत के सूरज का मस्तक, कभी नहीं झुकने देंगे।
ये विकास का रथ है, इसको, कभी नहीं रुकने देंगे।।”
इसी प्रकार कुमार आदित्य जी ने अपने अलग अंदाज में देश के प्रति प्रेम की चेतना जगाने वाली पंक्तियां पढ़ी:
“हम गौरव की इस धरती पर इन्सान जगाने आये हैं
वन्दे मातरम सुरों से हिन्दुस्तान जगाने आये हैं”
ओज के शशक्त हस्ताक्षर राष्ट्रीय कवि मनोज चौहान ने अपनी पंक्तियों से काव्य गोष्ठी में न केवल समाँ बांधा बल्कि जोश भरते हुए प्रभु प्रेम में लिए निम्न पंक्तियां पढ़ी:
“प्रभु विषधर के फैले फन पे नर्तन की जरूरत है।
यहां हर कालिया के मान मर्दन की जरूरत है।।”
वहीं श्री श्याम निर्मोही जी नें यथार्थ के बदलते भारत के लिए निम्न पंक्तियों से अपने विचार प्रस्तुत किये:
“मैं भारत हूं क्षण प्रतिक्षण बदल रहा हूं।
कभी आतंक की आग से, कभी भ्रष्टाचार की आग से ।”
डॉ. ज्योति राहुल उपाध्याय ने बेहद खूबसूरत तरन्नुम में ‘आज़ादी’ को कुछ यूं परिभाषित किया:
“पंद्रह अगस्त है आज ,देश हुआ था आज़ाद
आज के दिन पर ,अभिमान होना चाहिए !”
अंकुर सक्सेना ने अपने गीत के माध्यम से देश भक्ति को बयां करते हुए अपनी रचना रखी:
“ये भारत मुझको है प्यारा है मेरा देश महान ”
इस महफ़िल की संचालिका एवं काव्य कार्नर की संस्थापिका डॉ. पूजा सिंह गंगानिया ने अपनी रचना के द्वारा देश के प्रति अपने प्रेम को कुछ इस तरह व्यक्त किया:
“मेरा देश मेरा वतन, मेरा स्वाभिमान है
जल रहा है दीप-सा, मेरा आत्मसम्मान है”
इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन की सबसे सुंदर बात यह रही कि इसमें वरिष्ठ एवं उभरते कवियों और ग़ज़लकारों का अभूतपूर्व मेल था, जिसमें अनुभवों से सींचे शब्दों के साथ साथ नया जोश भी शामिल हुआ।
एकलव्यम क्रिएशन की संस्थापिका, लेखिका एवं कवियित्री डॉ. पूजा सिंह गंगानिया ने इस पूरे कार्यक्रम को बहुत खूबसूरती से एक साथ बाँधा।
काव्य कॉर्नर साहित्य, कला, संस्कृति जैसी सभी विधाओं की प्रतिभाओं के प्रोत्साहन का मंच है जो न सिर्फ वरिष्ठ व विश्वप्रख्यात कवियों व कलाकारों को जोड़ता है, बल्कि नवांकुरों को भी बढ़ावा देता है। काव्य कार्नर न केवल डिजिटल काव्य गोष्ठियों में बल्कि फेसबुक लाइव एवं लेखन प्रतियोगिताओं से अपनी शशक्त साहित्यिक उपस्थिति को दर्ज कराने में सफल रहा है
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