राजेश पाल की रिपोर्ट
अमेठी : जिले के शुकुल बाजार में अंग्रेजी हुकूमत में बने (निरीक्षण भवन) डाक बंगले में कभी वीवीआई नेताओं का जमावड़ा लगता था लेकिन समय बदलता गया और यही डाक बंगला अब जंगली जीवों का आशियाना बन गया। सिंचाई विभाग द्वारा 1940 में निर्मित शुकुल बाजार का डाक बंगला जहॉ देश के भारतरत्न राजीव गॉधी स्वंय अपने परिवार के साथ रातें गुजारते थे।
वहीं डाक बंगला रख रखाव व विभाग की उदासीन रवैया के चलते झाड़ियों के बीच कमरे , कमरों के टूटे दरवाजे जंगली जानवरों केआशियाना के रूप में तब्दील हो चुका है ।गौरतलब है कि सिंचाई विभाग द्वारा क्षेत्र में गिरॉवा रजबहा निर्गत करायी गई थी जहॉ अंग्रेजी हुकूमत के समय इसी डाक बंगले में विभागीय अधिकारियों व अतिथियों के ठहरने की उचित व्यवस्था रहा करती थी । विभागीय अधिकारियों के निरीक्षण की दृष्टि से सुलभ था । देश के आजादी के सात वर्ष पूर्व 76 वर्ष पुराना डाक बंगला वर्तमान में देख रेख के अभाव में जंगली जानवरों का अशियाना बन चुका है । जिसमें अमेठी संसदीय क्षेत्र के वर्तमान सांसद राहुल गॉधी भी बाल्यावस्था में अपने पिता भारत रत्न राजीव गॉधी के साथ उक्त डाक बंगले में रात गुजार चुके हैं ।
शीर्ष राजनेताओं के आवागमन का सिलसिला जब तक होता रहा, तब तक यह गुलजार रहा । परन्तु समय के बदलते वक्त में जैसे ही सियासतदारों के यहॉ आवागमन का क्रम टूटा, वैसे ही इस डाक बंगला का बुरे वक्त आने प्रारम्भ हो गये । विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों का ठहराव अभाव ग्रस्त हो गया । वर्तमान में खिड़की, दरवाजा , तो भले टूट चुके हैं किन्तु छत की मजबूती को छत पर उगे विशालकाय पीपल का पेड डाक बंगले की दुर्दसा बयां कर रहा है। यहॉ तक की डाक बंगले तक पहुचने के लिए झाड़ियों से गुजरना पड़ता हैं । विभाग की ओर से रखरखाव में उदासीनता एवं सियासतदारों की उपेक्षा दृष्टि से शुकुल बाजार का डाक बंगला जंगली जीवों के आशियाना की पहचान बन गया हैं ।
मिली जानकारी के मुताबिक सेवा निवृत्त एक चौकीदार उक्त परिसर में निवास तो करता देखा जा रहा है लेकिन उसे भी इस डाक बंगले की चिन्ता नहीं रही । विधानसभा जगदीशपुर के पूर्व विधायक राधेश्याम कनौजिया के नाना रामसेवक धोबी 1967 से 2007 तक 9 बार व उनके राधेश्याम कनोजिया एक बार विधायक रह चुके लेकिन इस डाक बंगला की सुधि लेना जरूरी नहीं समझा, वहीं मौजूदा विधायक व प्रदेश सरकार के राज्यमन्त्री सुरेस पासी भी इस ऐतिहासिक डाक बंगला के रखरखाव के प्रति चिंतित नही दिखते अभी उन्होंने झांका तक नहीं।
वहीं क्षेत्रीय समाजसेवियो, प्रबुद्ध जनो की माने तो इस डाक बंगले का जीर्णोद्धार विधायक अपने विधायक निधि से करवा सकते है इस ऐतिहासिक डाक बंगला मे पीने के लिए जो हैण्ड पम्प है वह भी ऐन केन चल रहा है इसकी दुर्दशा के सम्बन्ध में सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियन्ता ने कहा कि ‘‘रखरखाव सम्बन्धी धन की जानकारी मुझे नहीं किन्तु विश्व बैंक के माध्यम से परियोजना बनायी जा रही है अगले वित्तीय वर्ष में डाक बंगलों का जीणोंद्धार कराया जायेगा’’।
फिलहाल यहॉ का डाक बंगला उपेक्षा का शिकार होता देखा जा रहा हैं अब देखना यह हैं कि शुकुल बाजार का डाक बंगला पूर्व की भाँति कब गुलजार हो सकेगा बिजली , सड़क व आधुनिक सुबिधा बिना कौन रूकेगा । क्षेत्रीय पूर्व कांग्रेस बिधायक राधेश्याम कनौजिया कहते हैं कि जब राजीव जी यहां के सांसद हुआ करते थे व देश का नेतृत्व करते थे तो यहां बिजली भरपूर मिलती थी सड़कों की दशा ठीक थी आज डाक बंगाला तक जाने का रास्ता ही नही दिखता ।
इस डाक बंगला के उपेक्षा की पूरी जिम्मेदारी वह गैर कांग्रेसी सरकार को देते हैं ।
वह साफ तौर पर कहते है यदि बिजली पानी व आधुनिक सुविधायें नही मिलेगी तो वहां कौन ठहरेगा । बिजली रहती नही सड़कें हैं नही । इसी की वजह है कि इतनी बड़ी इमारत उपेक्षित हो गयी ।
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