लोकपति सिंह की रिपोर्ट :
चंदौली : श्रीमद भागवद कथा सुनने से हमारा मन पवित्र होता है। जो भागवद कथा नहीं सुनता है, उसका मन कभी भी पवित्र नही होता है। वह हमेशा अपवित्र ही रह जाता है। अगर कहीं भागवत कथा होती है और हम वहां से गुजरते है, तो हमको थोङा समय वहां देना चाहिए, क्योंकि वह थोङी कथा सुनने से हमें पूरा भागवत का फल मिल जाता है। उक्त बातें खरौझा गांव कें हिनौती मौजा स्थित हनुमान जी मंदिर पर भागवद कथा के चौथी निशा पर वृन्दावन से पधारे हनुमान दास ने कही।
कहा कि भगवान किस रूप में, कहाँ और कैसे दर्शन देते हैं, इसके वर्णन को ही भागवत कथा कहते हैं। भागवत कथा में तीन अर्थ होते हैं। भावार्थ, शब्दार्थ और तत्वार्थ। कहा कि हमारे जिन्दगी का भविष्य हमारी भाव वंदना होती है। सयन करना नही बल्कि सहन करना ही सबसे बङी साधना होती है। जो भोजन हम करते है, अगर उसमें कोई दोष है तो वह भगवान को अर्पण करने के बाद वह दोष खत्म हो जाता है। कहा कि धन और संपत्ति से हमें कोई सुख नहीं मिलता है। धन और संम्पत्ति से केवल सुविधाये मिलती है।हमें जो सुख मिलता है वह ढंग और संस्कार से मिलता है। हमें बङो की सेवा करने से आयु, विद्या, यश, और बल की प्राप्ति होती है ।कहा कि जो राम की बाण से मरता है वह मुक्ति पा लेता है और जो कृष्ण की बाण से मरता है वो भक्ति पा लेता है। जो अपने मन और बुद्धि को वश में करता है, वह जगत का स्वामी हो जाता है। कहा कि जो अनेक का दर्शन करे वह ज्ञान है और जो भगवान का दर्शन करे वह भक्ति है। सतसंग करने से सदगुणो का जन्म होता है।
इस दौरान बच्चो नें नरसिंह,प्रहलाद, और हरिण्यकश्यप तथा बासुदेव और कन्हैया के रूप में झांकी निकाली। दीप प्रज्वलित बृजेश उर्फ पप्पू चौबे व कैलाश प्रसाद जायसवाल ने किया। इस अवसर पर श्यामनारायण विश्वकर्मा,डब्बू चौबे,सुबास गिरी,जय प्रकाश शर्मा,पूनम सिंह,पूनम पाण्डेय,रिम झिम, आराध्या ,ग्लोरी,आनन्दनी सहित श्रोता उपस्थित थे।