समूचे समाज की सुरक्षा जिनके कंधों पर, क्या उनकी भी परवाह है किसी को ?

श्रीनिवास सिंह मोनू की रिपोर्ट :

लखनऊ : आज हमारे समाज में तरह-तरह की कुरीतियां व्याप्त हैं। तरह-तरह की अफवाहें फैला करती हैं, अनेको अनेक घटनाएं दुर्घटनाएं दिन और रात चला करती हैं। जाड़ा गर्मी बरसात सभी मौसमों में बराबर अपनी सेवाएं देते रहते हैं। क्षेत्र चाहे जैसा भी हो मैदानी, जंगली हो या फिर पहाड़ी कभी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटते। हालात चाहे जैसे भी हो वह कभी अपना कर्तव्य निभाने से पीछे नहीं हटते।

आज हम बात कर रहे हैं देश की पुलिस की जो किसी भी स्थिति और परिस्थिति में हमेशा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती रहती है, एवं हमारे समूचे समाज को सुरक्षा प्रदान करती है। उसे तो कोई भी क्षेत्र काल या परिस्थिति हो अपना काम करना ही होता है। फिर भी आज जो हमारा समाज बनता जा रहा है। हमारी हर जिम्मेदारी होने के बावजूद हम पुलिस पर ही आरोप और प्रत्यारोप लगाते हैं। यहां तक कि सत्ताधारी कुछ लोग हमेशा पुलिस के ऊपर अपने मनमाफिक कार्य कराने के लिए लगातार दबाव बनाया करते हैं।



इन सब आरोप-प्रत्यारोप और दबाव के बीच सामंजस्य बैठा कर पुलिस जिस तरीके से कार्य करती है, वह वाकई काबिले तारीफ होता है। आज हर समाज में विभाग को समर्थन करने वाला कोई न कोई आयोग बना हुआ है, जिसके माध्यम से लोग अपनी आवाज बुलंद करते हैं। परंतु क्या पुलिस के लिए विभाग के अलावा कोई अन्य माध्यम है, जिससे वह अपनी बात रख सके, उनकी जरा सी भी गलती हो जाने पर उन्हें ऐसी सजा दी जाती है, जैसे वह कोई आपराधिक प्रवृति के अपराधी ही हैं।

क्या कभी किसी ने उनके घर परिवार के बारे में सोचा है, कि क्या उनकी कोई व्यक्तिगत जिंदगी भी होती है। हमारे हर त्यौहार और हमारे हर कार्यों में सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी होती है। कहीं कहीं पर तो पर्याप्त संसाधन भी नहीं होते हैं, इसके बावजूद भी वह निरंतर अपनी सेवाएं देते रहते हैं, जो कि अत्यंत काबिले तारीफ और प्रशंसा योग्य भी होता है।


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