हरदीप छाबड़ा की रिपोर्ट :
राजनांदगांव : प्रदेश के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के विधानसभा राजनांदगांव का अंतराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध बेजोड़ कलाकार दीपक तिवारी अस्पताल में अंतिम सांसे गिन रहा है। उसका सुध लेने वाला कोई नही है। और तो और उसे देखने शासन की तरफ से अब तक कोई नही पहुंचा है। प्रदेश के मुखिया अपने क्षेत्र के इस बेजोड़ कलाकार की सुध लेने से आखिर क्यों कतरा रहे है ? क्या इस पर भी डॉ साहब कोई नफा नुकसान ढूंढने में लगे हैं ? और हद तो यह भी है कि प्रदेश की संस्कृति विभाग भी इस कलाकार का कोई खोज खबर नही ले रहा है।
नाटक “चरणदास चोर” में चोर का किरदार निभाने वाले राजनांदगांव के दीपक तिवारी की माली हालात इन दिनों बेहद ही खस्ता है और रायपुर के अस्पताल में लकवा का इलाज करा रहे हैं। मशहूर नाट्य निर्देशक पद्मश्री हबीब तनवीर तो इस दुनिया में नही है, लेकिन उनके नाटक “चरणदास चोर” में चोर का किरदार निभाने वाले दीपक तिवारी ने पूरी दुनिया में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। आज वह बहुत बीमार है और उन्हें उम्मीद थी कि सरकार से कोई मदद मिलेगी। पर यह उनका ये सपना, सपना ही साबित हुआ। संस्कृति विभाग ने भी चुप्पी साध रखी है।
तिवारी का पूरा परिवार कलाकार है। उनकी पत्नी पूनम तिवारी ने बताया कि वर्ष 2008 में लकवाग्रस्त होने के बाद यह लगा था कि वे जल्दी ही ठीक हो जायेंगे, लेकिन ऐसा नही हुआ। इधर उनके मष्तिष्क ने भी काम करना बंद कर दिया है। लकवाग्रस्त होने के बाद उनकी पत्नी पूनम जो स्वंय भी तनवीर के ग्रुप का हिस्सा थी, उन्हें घर का खर्च चलाने के लिए इधर उधर की संस्थाओं में काम करना पड़ रहा है। पूनम आज पति की बीमारी के चलते कही प्रोग्राम में भी नही जा पा रही है।
दीपक के 2 बच्चे है। बेटा सूरज रंग छतिसा नाम की संस्था चलते है और बेटी दिव्या भी एक अच्छी नृत्यांगना है और परिवार की गाड़ी चलाने के लिए वह भी सांस्कृतिक संस्थाओं में कार्यक्रम प्रस्तुत करती रहती है। राजनांदगांव के रहने वाले दीपक तिवारी ने रंगमंच की दुनिया में रहते हुए एक सुनहरा दौर देखा था, लेकिन अब हर रोज अपनी मौत को करीब आते हुए देख रहा है। यदि कलाकार बिरादरी और सरकार की नजरें इनायत हो जाए तो शायद दीपक अपने जीवन की शेष पारी को कुछ नए सृजन को अंजाम दे सकते है।
स्व.तनवीर अपनी संस्था के मुताबिक मानदेय भी दिया करते थे। दीपक ने देश-विदेश में नाटकों के मंचन से जो थोड़े बहुत पैसे जुटाए थे, उसी से राजनांदगांव के ममता नगर में एक छोटा सा मकान बनवा लिया था। दीपक 1990 में तनवीर के नए। थियेटर का हिस्सा बने थे इस संस्था में रहते हुए उन्होंने चरणदास चोर, लाला शोहरत राय, मिटटी की गाड़ी, आगरा बाजार, कामदेव का अपना, बसंत ऋतु का सपना देख रहे है नैन, लाहौर नही देखा और हिरमा की अमर कहानी सहित कई नाटकों में मुख्य भमिका निभाई।
बिलासपुर जिले का मूल निवासी है दीपक
यह बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि दीपक तिवारी बिलासपुर से मात्र 10 कि. मी. दूर देवरी (भरनी कोटा रोड) गांव के स्व. गोपाल तिवारी के पुत्र है। उनके 5 बच्चों में ये तीसरे नम्बर का लड़का है। गांव में गम्मत ,नवधा रामायण ,लीला देखने का शौकीन रहा। अभी वर्तमान में इसका एक भाई ग्राम मंगला में रहता है। देवरी में अब परिवार का कोई भी नही रहता है।
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